गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं
ऐसे में सही समय पर उचित उपचार न मिलने से मरीज की हालत बिगड़ती चली जाती है। जानकारी के मुताबिक सरकार टीबी उन्मूलन को लेकर बेहर गंभीर है और उसने वर्ष 2025 तक देश से टीबी को समाप्त करने का बीड़ा उठाया है। लेकिन टीबी विभाग से जुड़े अधिकारी इस अभियान को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।
यूपीएस को ठीक कराने भेज दिया
यही कारण है कि गुना जिले का एक मात्र टीबी अस्पताल बीते काफी समय से अव्यवस्थाओं से ग्रस्त चल रहा है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि टीबी मरीजों के लिए अनिवार्य कर दी गई सीबीनाट जांच मशीन बीते 20 दिनों से इसलिए बंद है क्योंकि उसको चालू रखने वाला यूपीएस खराब हो गया है। प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने यूपीएस को ठीक कराने भेज दिया है।
मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है
यहां बता दें कि शासन के नियमानुसार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में आने वाले कुल मरीजों में से 4 प्रतिशत मरीजों की टीबी की जांच कराना अनिवार्य है। ताकि बीमारी को प्रारंभ में डिटेक्ट कर उसे ठीक किया जा सके। लेकिन सीबीनाट मशीन के बंद होने के चलते मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है।
मरीजों के समक्ष यह परेशानी
टीबी के गंभीर मरीज की सीबीनाट मशीन से जांच होना जरूरी है। लेकिन इस मशीन की लागत व रख रखाव इतना महंगा है कि गुना जिला ही नहीं आसपास के किसी भी जिले के निजी अस्पताल में सीबीनेट जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। क्योंकि यह प्राइवेट तौर पर बहुत महंगी जांच है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस जांच को पूर्णत: नि:शुल्क किया है। जिसके तहत प्राइवेट डॉक्टर द्वारा लिखी गई जांच भी नि:शुल्क रूप से की जाएगी।
45 किमी दूर जाना पड़ता है जांच कराने
सूत्रों का कहना है कि जब टीबी के गंभीर मरीज बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचने लगे तो मजबूरन स्टाफ को उनका सैंपल लेना पड़ा। ऐसे में अब स्टाफ सैंपल की जांच कराने अशोकनगर जाता है और फिर वहां से जांच कराकर लाता है। लेकिन यहां भी एक और परेशानी सामने आ रही है। अशोकनगर के टीबी अस्पताल में जो मशीन उपलब्ध है वह एक बार में दो ही सैंपलों की जांच कर पाती है जबकि एक सैंपल की संपूर्ण जांच में करीब ढाई घंटे का समय लगता है।
जांच से सामने आती है बीमारी की गंभीरता
विशेषज्ञ चिकित्सक के मुताबिक लक्षण के आधार पर टीबी रोगी की सामान्य दवाएं तो प्रारंभ कर दी जाती हैं लेकिन सीबीनाट मशीन से जांच उपरांत बीमारी की गंभीरता स्पष्ट हो जाती है उसके आधार पर टीबी की दवा शुरू की जाती हैें। साथ ही डोज शुरू होने के बाद मरीज पर वह कैसा असर डाल रही हैं इसकी जांच भी सीबीनाट से सामने आती है।
हर साल बढ़े आंकड़े
वर्ष टीबी रोगी
2017 1824
2018 2727
2019 1500
नोट: स्टाफ को टारगेट है कि एक लाख की आबादी पर 274 मरीज टीबी के डिटेक्ट होने चाहिए।
सीबीनेट मशीन को चलाने वाले यूपीसी में तकनीकी खराब आ गई है। जिसे ठीक करने भेज दिया गया है। जल्द ही ठीक होकर आ जाएगा। अभी हम मरीजों का सैंपल लेकर अशोकनगर से जांच करवा रहे हैं।
-डॉ आरएस राजपूत, डीटीओ, जिला क्षय रोग अस्पताल