समस्या का हल कोर्ट कचहरी में नहीं शांति में है
गुना। जहां समस्याएं हैं वहीं आकुलता है। इन्हीं समस्याओं में संसारी प्राणी उलझा हुआ रहता है। थोड़ी-थोड़ी सी बातों में आपस में विरोधाभास हो जाते हैं। कोर्ट कचहरी विवाद का कारण नहीं है। जर, जोरू और जमीन विवाद के कारण हैं। कोर्ट में समस्या का हल नहीं होता। यदि शांति से बैठकर समस्या को सुलझाया जाएं तो वह आसानी से निपटाई जा सकती है। समस्या है तो उसका समाधान भी होता है। अंबानी जैसे परिवारों के विवाद घर में बैठकर सुलझाएं गए। आज लोग छोटी-छोटी बातों पर लाखों रुपए कोर्ट कचहरी में खर्च कर देते हैं। लेकिन घर के बड़े बुजुर्गों की बात नहीं मानते। जमीन जायदाद के कारण भाई-भाई को फूटी आंख नहीं सुहाता। उक्त धर्मोपदेश आचार्य विद्यासागर के शिष्य मुनिश्री पद्म सागर ने चौधरी मोहल्ला स्थित पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस अवसर पर मुनि प्रसाद सागर भी मंच पर विराजमान रहे। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण, दीप प्रज्जवलन और आचार्य की पूजन के साथ हुआ। प्रवचनों के दौरान मुनि पद्म सागर ने कहा कि वीतरागी प्रभु के दर्शन करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं। वीतराग प्रभु और गुरु के ही वचन प्रमाणिक हैं। इन पर आस्था और श्रद्धा रखो। आज विपरीत समय चल रहा है। यह पंचमकाल महा दुखदायी है। इन सबके बावजूद यदि संतों का सानिध्य मिला है तो इसका सदुपयोग करना चाहिए।