हनुमान टेकरी पर कर्ण ने की थी दक्षिण मुखी हनुमान की तपस्या
गुना। गुना जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर ऊंची पहाडिय़ों पर महाभारत कालीन प्रसिद्ध सिद्ध स्थल श्री हनुमान टेकरी मंदिर स्थित है। इस मंदिर में अति प्राचीन दक्षिण मुखी हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। टेकरी सरकार का यह स्थान सातवीं शताब्दी पूर्व का है और साधू-संतों की तपो भूमि का केन्द्र रहा है।
ऐसी मान्यता है कि हनुमान टेकरी पर कर्ण ने भी तपस्या की थी। जानकार बताते हैं कि हनुमान टेकरी के जीर्णोद्वार के समय खुदाई में साधु-संतों की समाधियां मिलीं थीं। साथ ही सोने के सिक्के भी प्राप्त हुए थे। हनुमान टेकरी ध्यान और ऊर्जा का केन्द्र है जहां अनेकों श्रद्धालु आस्था और भक्ति में लीन रहते हैं।
हनुमान टेकरी पर प्राचीन शिव मंदिर भी है, साथ में सिद्ध बाबा भी विराजे हुए हैं।
प्राकृतिक मनोरम पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। संगमरमर से निर्मित टेकरी सरकार का मंदिर अपनी अनुपमा छटा के लिए भी जाना जाता है। यहां पर चढऩे के लिए सीढिय़ां लगाई गई हैं। जिनकी संख्या 501 है। हनुमान टेकरी के आसपास पांच पहाड़ भी है, जिनमें एक पहाड़ पर राम टेकरी भी है जहां प्रदेश की सबसे ऊंची भगवान राम की प्रतिमा जल्द स्थापित होगी। हनुमान टेकरी पर हनुमान जी की प्रतिमा और सिद्ध बाबा का स्थान बनवाने में हनुमान प्रसाद, गन्नालाल टेलर, अशोक गर्ग, युवा समिति के पदाधिकारियों की अह्म भूमिका रही। सन् 2005 में हनुमान टेकरी को नया स्वरूप देना शुरू हो गया था, यह काम सन् 2008 में बड़ी तेजी से हुुआ।
पहला ट्रस्ट 29 मई 1968 में बना था
हनुमान टेकरी को आकर्षक, सुन्दर और धार्मिक स्थान बनाने के लिए सन् 1968 मेें पहला ट्रस्ट बना था, उसके अध्यक्ष नारायण प्रसाद तिवारी और सचिव व मैनेजर फैलीराम जी बने थे। इनके अलावा उपाध्यक्ष देवीलाल खेड़ापति, कोषाध्यक्ष शिवप्रसाद भार्गव को बनाया गया था। इस ट्रस्ट का सन् 1982 में पुर्न गठन हुआ उसमें अध्यक्ष राधेश्याम तायल अध्यक्ष बने। हनुमान टेकरी को नया स्वरूप पिछले कुछ सालों में दिया, इसका श्रेय टेकरी के पदाधिकारियों के साथ तत्कालीन विधायक और नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सलूजा को जाता है जिनको यहां काम कराने के लिए कोर्ट और पुलिस की कार्रवाई तक झेलना पड़ी थी। आज यह टेकरी अपने आप में एक अलग धार्मिक स्थान बन गया है, जिसको आगामी समय में दूसरी योजनाओं के तहत विस्तार किया जाना भी प्रस्तावित है।
हनुमान टेकरी को आकर्षक, सुन्दर और धार्मिक स्थान बनाने के लिए सन् 1968 मेें पहला ट्रस्ट बना था, उसके अध्यक्ष नारायण प्रसाद तिवारी और सचिव व मैनेजर फैलीराम जी बने थे। इनके अलावा उपाध्यक्ष देवीलाल खेड़ापति, कोषाध्यक्ष शिवप्रसाद भार्गव को बनाया गया था। इस ट्रस्ट का सन् 1982 में पुर्न गठन हुआ उसमें अध्यक्ष राधेश्याम तायल अध्यक्ष बने। हनुमान टेकरी को नया स्वरूप पिछले कुछ सालों में दिया, इसका श्रेय टेकरी के पदाधिकारियों के साथ तत्कालीन विधायक और नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सलूजा को जाता है जिनको यहां काम कराने के लिए कोर्ट और पुलिस की कार्रवाई तक झेलना पड़ी थी। आज यह टेकरी अपने आप में एक अलग धार्मिक स्थान बन गया है, जिसको आगामी समय में दूसरी योजनाओं के तहत विस्तार किया जाना भी प्रस्तावित है।
कोविंद, शिवराज, सिंधिया जैसे कई नेता आए
हनुमान टेकरी मंदिर की मान्यता के बारे में बताते हैं कि यहां जिस भक्त ने जो भी मान्यता की, वह पूरी हुई है। इस मंदिर पर दर्शन के साथ मान्यता के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया,राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह जैसे कई दिग्गज राजनेता यहां आए हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविन्द राज्यपाल बनकर यहां आए थे, वे यहां अपनी मान्यता करके गए, उसके कुछ समय बाद ही वे राष्ट्रपति बने और बनने के बाद कोविन्द गुना आए थे। वहीं इनके विरुद्ध जिसने भी आवाज उठाई, उसकी आवाज या तो हमेशा के लिए दब गई या राजनीति और नौकरी मेें उनके सितारे गर्दिश में हो गए। इनमें एक पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे का नाम सबसे ऊपर है। जिसने हनुमान टेकरी पर हुए निर्माण कार्य आदि की जांच कराने का मामला विधानसभा में उठाया था।
यहां भी होंगे कार्यक्रम
हनुमान टेकरी पर हनुमान जन्मोत्सव पर सुबह पांच बजे और रात्रि 12 बजे पर आरती होगी। आरती के साथ हनुमान जी की प्रतिमा का अभिषेक भी होगा, दिन भर धार्मिक कार्यक्रम भी चलते रहेंगे।
यहां विराजते हैं पंचमुखी हनुमान जी
गुना शहर से पांच किलोमीटर दूर अशोकनगर रोड पर पंचमुखी आश्रम बना हुआ है। पंचमुखी आश्रम पर यहां पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा के बारे में दिलीप सक्सेना बताते हैं कि अयोध्या से एक संत लक्ष्मण दास जी गुना आए थे, उन्होंने सन् 2007 में जाटपुरा में उपकार मंदिर बनवाया था। इसके बाद उनके मन में आया क्यों न पंचमुखी हनुमान मंदिर की गुना में स्थापना कराई जाए, इसके लिए उन्होंने स्थान चयनित किया। 10 दिसंबर 2010 को पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई। पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा सबसे अलग है, जिसके मात्र दर्शन करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस मंदिर में राम जानकी की भी मूर्ति है। इस मंदिर के साथ ही यहां नंदिनी गौशाला स्थापित है, जहां उपेक्षित गायों को रखा जाता है। गोलोक वासी डा. अशोक शर्मा जो लक्ष्मण दास महाराज के शिष्य रहे जिन्हें हम सब टपरिया वाले बाबा के नाम से जाना जाता है। उन्होंने पंचमुखी हनुमान मंदिर की स्थापना के लिए अपनी जमीन दान दी थी। यहां बने पंचमुखी आश्रम पर राष्ट्रवादी, सामाजिक, स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रम भी समय-समय पर होते रहे हैं।
हनुमान टेकरी पर हनुमान जन्मोत्सव पर सुबह पांच बजे और रात्रि 12 बजे पर आरती होगी। आरती के साथ हनुमान जी की प्रतिमा का अभिषेक भी होगा, दिन भर धार्मिक कार्यक्रम भी चलते रहेंगे।
यहां विराजते हैं पंचमुखी हनुमान जी
गुना शहर से पांच किलोमीटर दूर अशोकनगर रोड पर पंचमुखी आश्रम बना हुआ है। पंचमुखी आश्रम पर यहां पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा के बारे में दिलीप सक्सेना बताते हैं कि अयोध्या से एक संत लक्ष्मण दास जी गुना आए थे, उन्होंने सन् 2007 में जाटपुरा में उपकार मंदिर बनवाया था। इसके बाद उनके मन में आया क्यों न पंचमुखी हनुमान मंदिर की गुना में स्थापना कराई जाए, इसके लिए उन्होंने स्थान चयनित किया। 10 दिसंबर 2010 को पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई। पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा सबसे अलग है, जिसके मात्र दर्शन करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस मंदिर में राम जानकी की भी मूर्ति है। इस मंदिर के साथ ही यहां नंदिनी गौशाला स्थापित है, जहां उपेक्षित गायों को रखा जाता है। गोलोक वासी डा. अशोक शर्मा जो लक्ष्मण दास महाराज के शिष्य रहे जिन्हें हम सब टपरिया वाले बाबा के नाम से जाना जाता है। उन्होंने पंचमुखी हनुमान मंदिर की स्थापना के लिए अपनी जमीन दान दी थी। यहां बने पंचमुखी आश्रम पर राष्ट्रवादी, सामाजिक, स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रम भी समय-समय पर होते रहे हैं।
यहां भी होंंगे कार्यक्रम
सियाराम दास महाराज बताते हैं कि श्री हनुमान जन्मोत्सव पर सुबह पांच और सात बजे महा आरती होगी और छप्पन भोग प्रसादी का आयोजन होगा।
राजा से हनुमान जी की होती थी बात
बजरंगगढ़ किले में हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है, जहां के बारे में लोग बताते हैं कि यहां जो राजा जयसिंह होते थे उनसे हनुमान जी की सीधी बात होती थी। एक बार राजा और हनुमान जी की बात हो रही थी उसी समय रानी वहां आ गईं, जिनको देखकर हनुमान जी ने गर्दन मोड़ ली, उसी मुद्रा में यहां मूर्ति विराजित है। यहां के मंदिर को किला सरकार के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का खिचलीवंश के राजा जयसिंह ने निर्माण कराया था। बजरंगगढ़ में चारों दिशाओं में हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित हैं।
गुना शहर एवं आरोन के आसपास के लोग बजरंगगढ़ किले में घूमने के लिए आते हैं और बजरंगगढ़ किले मे स्थित हनुमान जी के मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं। हनुमान जी का मंदिर बहुत अच्छा और सुंदर है। वहां के आसपास का वातावरण बहुत अच्छा है। हाल ही में उस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ है। उस मंदिर की सुंदरता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है क्योंकि पुरातत्व विभाग के योगदान से उस मंदिर का पुनर्निर्माण किया जा रहा है।
अंग्रेजी सेना का सिपाही नहीं ले जा पाया था मूर्ति
गुना शहर में बसे बूढ़े बालाजी स्थित हनुमान मंदिर का इतिहास वहां के लोग बताते हैं कि यह मंदिर 100 वर्ष से पूर्व के दस्तावेजों में मिलता है। मंदिर का जीर्णोद्वार 1972 में हुआ, यहां विराजमान हनुमान जी के बारे में किवदंती है कि अंग्रेजी सेना का एक सिपाही यह मूर्ति कहीं ले जा रहा था, सिपाही जब यहां रुका तो वह मूर्ति को आगे नहीं ले जा सका। तब से यहीं मूर्ति स्थापित है।
यहां भी महाआरती और छप्पन भोग का आयोजन
इस मंदिर पर भी सुबह पांच बजे हनुमान जी की महा आरती और छप्पन भोग लगेगा।
छान मंदिर चांचौड़ा
चांचौड़ा में छान मंदिर तीन सौ साल पुराना है। कई प्राचीन किवदंतियां इससे जुड़ी हैं। यह चंपावती कालीन है यहां मारूति नंदन की मूर्ति दर्शनीय है। यहां हनुमान जयंती के दिन रामचरित मानस का अखंड पाठ शुरू होगा जिसका समापन हनुमान जयंती के दूसरे दिन होगा, वहां भंडारे का भी आयोजन होता है।
संकट मोचन आवन
राघौगढ़ तहसील में आने वाले आवन में बने संकट मोचन हनुमान मंदिर के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 3 जून 1952 को आचार्य वाचस्पति शुक्ल के सानिध्य में हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। संकट मोचन के नाम से मंदिर जाना जाता है। विश्व कल्याण और शांति के लिए धार्मिक आयोजन होते हैं।
इस मंदिर पर भी सुबह पांच बजे हनुमान जी की महा आरती और छप्पन भोग लगेगा।
छान मंदिर चांचौड़ा
चांचौड़ा में छान मंदिर तीन सौ साल पुराना है। कई प्राचीन किवदंतियां इससे जुड़ी हैं। यह चंपावती कालीन है यहां मारूति नंदन की मूर्ति दर्शनीय है। यहां हनुमान जयंती के दिन रामचरित मानस का अखंड पाठ शुरू होगा जिसका समापन हनुमान जयंती के दूसरे दिन होगा, वहां भंडारे का भी आयोजन होता है।
संकट मोचन आवन
राघौगढ़ तहसील में आने वाले आवन में बने संकट मोचन हनुमान मंदिर के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 3 जून 1952 को आचार्य वाचस्पति शुक्ल के सानिध्य में हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। संकट मोचन के नाम से मंदिर जाना जाता है। विश्व कल्याण और शांति के लिए धार्मिक आयोजन होते हैं।
यहां होंगे कार्यक्रम
हनुमान जयंती पर अभिषेक, विशेष पूजन और मोदक का भोग लगेगा।
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उदासी आश्रम पर लगता था अखाड़ा
गुना शहर में स्थित उदासी आश्रम का इतिहास करीब 250 वर्षों पुराना है। तब यहां भैरों बाबा सहित कुछ मूर्तियां थीं। आश्रम में उदासी बाबाओं का अखाड़ा लगता था। कई समाधियां भी इसके नीचे बताई जाती हैं। हनुमान जी की स्थापना बाद में की गई। आश्रम पर वैसे तो रोजाना भक्तों का हुजूम रहता है लेकिन हनुमान जयंती पर कई धार्मिक कार्यक्रम होंगे।
आरोन में हाथ जोड़े खड़े हैं बजरंग बली
आरोन में दास हनुमान जी का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है ।यहां के लोग बताते हैं कि यहां जो बजरंग बली की प्रतिमा है उसको हमने कभी देखा नहीं हैं। यहां बजरंग बली की हाथ जोड़े प्रतिमा है। यहां जो भी मान्यता की जाती है वह पूरी होती है। इसके अलावा आरोन रोड पर सेमरी हनुमान मंदिर हैं, वहां का भी इतिहास अलग बताया जाता है वहां भी कई कार्यक्रम शनिवार को आयोजित होंगे।
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यहां होंगे कार्यक्रम
हनुमान जयंती पर अभिषेक, विशेष पूजन और मोदक का भोग लगेगा।
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उदासी आश्रम पर लगता था अखाड़ा
गुना शहर में स्थित उदासी आश्रम का इतिहास करीब 250 वर्षों पुराना है। तब यहां भैरों बाबा सहित कुछ मूर्तियां थीं। आश्रम में उदासी बाबाओं का अखाड़ा लगता था। कई समाधियां भी इसके नीचे बताई जाती हैं। हनुमान जी की स्थापना बाद में की गई। आश्रम पर वैसे तो रोजाना भक्तों का हुजूम रहता है लेकिन हनुमान जयंती पर कई धार्मिक कार्यक्रम होंगे।
आरोन में हाथ जोड़े खड़े हैं बजरंग बली
आरोन में दास हनुमान जी का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है ।यहां के लोग बताते हैं कि यहां जो बजरंग बली की प्रतिमा है उसको हमने कभी देखा नहीं हैं। यहां बजरंग बली की हाथ जोड़े प्रतिमा है। यहां जो भी मान्यता की जाती है वह पूरी होती है। इसके अलावा आरोन रोड पर सेमरी हनुमान मंदिर हैं, वहां का भी इतिहास अलग बताया जाता है वहां भी कई कार्यक्रम शनिवार को आयोजित होंगे।
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यहां होंगे कार्यक्रम
हनुमान जयंती के दिन यहां भी अभिषेक जैसे कई कार्यक्रम होंगे।
प्राचीन हनुमान मंदिर कुंभराज में भी
कुंभराज के बाजार में सबसे प्राचीन राम जानकी मंदिर हैं, यहां हनुमान जी की प्रतिमा सबसे अद्भुत है। इसके अलावा रामेश्वर धाम है जहां हनुमान जी की प्रतिमा पर हनुमान जन्मोत्सव पर दोपहर 12 बजे विहिप और बजरंग दल महा आरती और सुन्दर कांड का पाठ करेगा। कुंभराज में गोपाल मंदिर, पायगा, छबड़ा रोड और सरकारी मंदिर हैं, जहां भक्त गण हनुमान जन्मोत्सव के दिन शनिवार को जाएंगे।
प्राचीन हनुमान मंदिर कुंभराज में भी
कुंभराज के बाजार में सबसे प्राचीन राम जानकी मंदिर हैं, यहां हनुमान जी की प्रतिमा सबसे अद्भुत है। इसके अलावा रामेश्वर धाम है जहां हनुमान जी की प्रतिमा पर हनुमान जन्मोत्सव पर दोपहर 12 बजे विहिप और बजरंग दल महा आरती और सुन्दर कांड का पाठ करेगा। कुंभराज में गोपाल मंदिर, पायगा, छबड़ा रोड और सरकारी मंदिर हैं, जहां भक्त गण हनुमान जन्मोत्सव के दिन शनिवार को जाएंगे।
प्रतिमा स्थापना के लिए अडंगी बाबा ने की थी भूख हड़ताल बीनागंज स्थित बस स्टैण्ड पर पंचमुखी हनुमान मंदिर बना हुआ है। यहां के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि अडंगी बाबा ने हनुमान जी की स्थापना की थी। उस समय के तत्कालीन प्रशासन ने मंदिर स्थापना में बाधा पहुंचाई तो अडंगी बाबा भूख हड़ताल पर बैठ गए थे, उनकी भूख हड़ताल से घबड़ाकर प्रशासन पीछे हटा और मंदिर का निर्माण हुआ। पूर्व मेें यहा मंदिर एक कमरे में हुआ करता था, 1995 में इसको नया रूप दिया, शनिवार और मंगलवार को काफी संख्या में लोग आते हैं। इसी तरह बीनागंज में संत रामानंद आश्रम में आठ फुट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा है, इतनी ऊंची तो चांचौड़ा जिले में भी नहीं हैं।
राघौगढ़ में किले में विराजे हैं हनुमान जी राघौ महाराज के नाम पर बसे राघौगढ़ के किले में हनुमान जी की मूर्ति अद्भुत है, इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हैं काफी वर्ष पुराना है, इस मंदिर के बारे में मान्यता ये है कि यहां जिसने जो मन्नत मांगी वह पूरी हुई है। राज परिवार द्वारा हनुमान जयंती पर कई कार्यक्रम कराए जाते हैं।इसके अलावा दूसरी जगह भी हनुमान जी के मंदिर बने हुए हैं।
थानों में विराजे हैं हनुमान जी गुना जिले के कैंट पुलिस थाने को छोड़कर अंचल के थानों में हनुमान जी विराजे हुए हैं। बताया जाता है कि थाने में विराजे हनुमान जी के मंदिर में पूर्व में पकड़े गए चोर और दूसरे आरोपियों से अपराध को स्वीकारने के लिए कसमें खिलवाई जाती थीं। कसम खाने से पहले ही चोर अपना अपराध स्वीकार कर लेेते थे।

