दूसरी गलियों से जाने को मजबूर बच्चे
स्कूल टाइम में लगने वाले जाम से बचने कुछ बच्चे मुख्य मार्ग छोड़ अन्यत्र गलियों से जाने को मजबूर हो गए हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब बच्चे इस जाम की वजह से स्कूल जाने में लेट न हुए हों। सैकड़ों बच्चोंं से जुड़ी इस समस्या को लेकर जिला कांग्रेस प्रवक्ता शेखऱ वशिष्ठ ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूरे दो वर्ष बीत चुके हैं लेकिन प्रशासन थोक सब्जी मंडी के कारोबारियों को आज तक स्थायी जगह व्यवस्थित नही कर पाया है। यह वाकई में बड़ा ही विचारणीय पहलू है। वशिष्ठ ने कहा कि वे भी केंद्रीय विद्यालय में अध्ययनरत उनकी बेटी समृद्धि के अभिभावक हैं। यह राजनीति या प्रशासन पर हल्ला बोलने का विषय नही अपितु यह अपने आप मे एक बड़ा प्रश्न है कि आखिर प्रशासन पूरे दो वर्षों में मंडी को स्थायी रूप से व्यवस्थित करने में नाकाम रहा है।
उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के कई अभिभावक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके बच्चे आखिर कब और कैसे सुकून से स्कूल पहुंचेंगे। स्कूल जाने वाले मार्ग में बड़े-बड़े ट्रक, ट्रेक्टर-ट्राली, ऑटो, हाथ ठेला आदि से बहुत जाम लगता है। जिससे छात्रों को स्कूल जाने में तो देरी होती है। साथ ही बड़ी दुर्घटना होने की आशंका भी सताती रहती है।
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अभिभावक की पीड़ा
आज मैं अपनी बिटिया को स्कूल छोडऩे गया, उस बहुत भयंकर जाम लगा हुआ था। सामने से भारी भरकम ट्रक घाटी पर चला आ रहा, जिसके ब्रेक भी कम कम ही लग रहे थे। ऐसी स्थिति आए दिन बनी रहती है। उन्होंने इस समस्या को लेकर केंद्रीय विद्द्यालय के स्टाफ एवं जिम्मेदार अधिकारी से भी बात की। जिस पर उनका कहना था कि वे प्रशासन को लिख-लिखकर हार चुके हैं। आप सभी अभिभावक मिलकर प्रशासन से इस विकराल समस्या का निराकरण कराएं। वे जल्द ही एक शिष्ट मंडल के साथ प्रशासन से मिलेंगे।
शेखर वशिष्ठ, अभिभावक
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अव्यवस्था से व्यापारी भी अछूते नहीं
जिस जगह पर थोक सब्जी-फल मंडी संचालित हो रही है। इस स्थान से न केवल केंद्रीय विद्यालय के बच्चे परेशान हैं बल्कि मंडी के अधिकांश व्यापारी भी विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। कई व्यापारियों ने बताया है कि यहां मंडी संचालन के लिए जरूरी सुविधाओं का अभाव है। सफाई नाम की कोई व्यवस्था नहीं है। कागजों में 126 लाइसेंसी व्यापारी हैं। इनमें कई ऐसे व्यापारी हैं जिनके एक ही परिवारी दो से चार लाइसेंस हैं। ऐसा अधिक से अधिक जगह हथियाने के लिए किया गया है। लाइसेंस व्यापारी चाहते हैं कि बिना लाइसेंस व्यापारी यहां से बाहर हों। वहीं बिना लाइसेंस वालों का कहना है कि उन्हें लाइसेंस नहीं दिया जा रहा है। बताया जाता है कि यहां के व्यापारियों की 500 रुपए महीने की रसीद काटी जाती है। यही नहीं 200 रुपए अतिरिक्त लिए जाते हैं लेकिन सुविधाओं के नाम सब कुछ जीरो है।