टावर लगाने के लिए घनी आबादी को भी नहीं छोड़ा
मोबाइल टावर लगाने के लिए निर्धारित गाइड लाइन की सबसे पहली शर्त है कि किसी भी घनी बस्ती में मोबाइल टावर नहीं लगाया जा सकता। क्योंकि इससे न सिर्फ लोगों को रेडियशन का खतरा है बल्कि आंधी तूफान के दौरान टावर गिरने से ज्यादा क्षति होगी। लेकिन इस नियम को दरकिनार कर नगरीय इलाके करीब आधा सैकड़ा टावर लगे हुए हैंं।
इन क्षेत्रों में लगे हैं टावर
श्रीराम कालोनी, सिसोदिया, दुर्गा कॉलोनी, कर्नलगंज, लूशन का बगीचा, कैंट क्षेत्र, गुलाबगंज, नानाखेड़ी, राधा कालोनी, मुख्य बाजार, रसीद कॉलोनी सहित कई घनी बस्तियों में नियम विरुद्ध टावर लगे हुए हैं। जबकि इन इलाकों में कई स्कूल भी मौजूद हैं। गौर करने वाली बात है कि रेडिशन का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों को रहता है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स हैं खतरनाक
मोबाइल टावर से निकलने वाली इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वेव्स कैंसर का कारण बनती हैं। इस रेडिएशन से इंसान ही नहीं जानवरों पर भी असर पड़ता है। यही वजह है कि जिस एरिया में मोबाइल टावरों की संख्या अधिक होती है, वहां पक्षियों की संख्या कम हो जाती है। ग्रामीण अंचल में इसी वजह से मधुमक्खियोंं की संख्या कम हो गई हैं।
किस एरिया में नुकसान सबसे ज्यादा
एक्सपर्ट की मानें तो मोबाइल टावर के 300 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। एंटीना के सामने वाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती हैं।
मोबाइल टावर से होने वाले नुकसान में सबसे महत्वपूर्ण बात है कि घर, टावर पर लगे एंटीना के सामने है या पीछे। टावर के एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा एंटीना लगे होंगे, रेडिएशन भी उतना ज्यादा होगा।
इन बीमारियों का जनक है रेडिएशन
थकान, अनिद्रा, डिप्रेशन, ध्यान भंग, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, याद्दाश्त कमजोर होना, सिरदर्द, दिल की धड़कन बढ़ता, पाचन क्रिया पर असर, कैंसर का खतरा बढऩा, ब्रेन ट्यूमर आदि।
ये हैं टावर लगाने के नियम
– छतों पर सिर्फ एक एंटीना वाला टावर ही लग सकता है।
-पांच मीटर से कम चौड़ी गलियों में टावर नहीं लगेगा।
– एक टावर पर लगे एंटीना के सामने 20 मीटर तक कोई घर नहीं होगा।
– टावर घनी आबादी से दूर होना चाहिए।
– जिस जगह पर टावर लगाया जाता है, वह प्लाट खाली होना चाहिए। उससे निकलने वाली रेडिएशन की रेंज कम होनी चाहिए।
– कम आबादी में जिस बिल्डिंग पर टावर लगाया जाता है, वह कम से कम पांच-छह मंजिला होनी चाहिए।
– टावर के लिए रखा गया जेनरेटर बंद बॉडी का होना चाहिए, जिससे कि शोर न हो।
– जिस बिल्डिंग की छत पर टावर लगाया जाता है, वह कंडम नहीं होनी चाहिए।
– दो एंटीना वाले टावर के सामने घर की दूरी 35 और बारह एंटीना वाले की 75 मीटर जरूरी है।
आबादी वाले इलाके से 35 मीटर दूर हो टावर
मोबाइल टावर लगाने के लिए जमीन से पांच मीटर की ऊंचाईं तक बेस का निर्माण करना जरूरी है। आबादी वाले इलाके से टावर की दूरी कम से कम 35 मीटर अनिवार्य है। एंटीना की संख्या के आधार पर दूरी का निर्धारण किया गया है।
इतनी दूरी जरूरी
दो एंटीना वाले टावर : 25 मीटर
चार एंटीना वाले टावर : 45 मीटर
छह एंटीना वाले टावर : 55 मीटर
आठ एंटीना वाले टावर : 70 मीटर
12 एंटीना हो तो : 75 मीटर
प्रदूषण विभाग से एनओसी जरूरी
संबंधित मोबाइल कंपनियों को अब नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) केवल नपा से नहीं नहीं बल्कि प्रदूषण विभाग से भी लेना जरूरी है। मकान पर टावर लगवाने भवन का नक्शा पारित होना जरूरी है। रेडिएशन की जांच के लिए राज्य स्तरीय टर्मसेल यूनिट रांची से एनओसी लेना होगा।
यह बोले जिम्मेदार
नगरीय इलाके में मोबाइल टावर लगाने की परमिशन नपा ही देती है। लेकिन इससे पहले हम शासन द्वारा निर्धारित गाइड लाइन का भौतिक सत्यापन करते हैं। जहां तक रिहायशी इलाकों में नियम विरुद्ध टावर लगाने का सवाल है तो हम शिकायत मिलने पर जांच कराकर कार्रवाई कर रहे हैं। हाल ही में हमने रसीद कालोनी में टावर निर्माण रुकवाया है। जिस इलाके की भी शिकायत आएगी हम उस पर कार्रवाई करेंगे। वैसे मेरे कार्यकाल में कोई नियम विरुद्ध टावर नहीं लगा है।
संजय श्रीवास्तव, सीएमओ नगर पालिका गुना