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पत्रिका अलर्ट : मरीजों को भर्ती करने क्षमताओं में नहीं हुई बढ़ोत्तरी, फिर से दूसरी बीमारी के मरीजों को हटाकर कोविड वार्ड बनाया

locationगुनाPublished: Dec 03, 2021 12:14:08 am

Submitted by:

Narendra Kushwah

– एक साल में नहीं किया कोई नया निर्माण, मरीजों की संख्या बढ़ते ही आ सकती है परेशानी-दूसरी लहर के दौरान 400 बिस्तरीय अस्पताल में नहीं बची थी मरीजों को भर्ती करने जगह

पत्रिका अलर्ट : मरीजों को भर्ती करने क्षमताओं में नहीं हुई बढ़ोत्तरी, फिर से दूसरी बीमारी के मरीजों को हटाकर कोविड वार्ड बनाया

पत्रिका अलर्ट : मरीजों को भर्ती करने क्षमताओं में नहीं हुई बढ़ोत्तरी, फिर से दूसरी बीमारी के मरीजों को हटाकर कोविड वार्ड बनाया

गुना. कोरोना की दूसरी लहर के बाद स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तीसरी लहर की भी आशंका जताई थी।जिसे लेकर सरकार लगातार प्रशासन को अलर्ट करते हुए स्वास्थ्य इंतजामों में इजाफा करने के लिए कह रही थी। यही नहीं शासन की तत्परता की वजह से ही गुना जिला अस्पताल में दो तथा आरोन और बमोरी में एक-एक ऑक्सीजन प्लांट लग चुका है। लेकिन असली दिक्कत मरीजों को भर्ती करने में आई थी। इस दिशा में अब तक प्रशासन ने कोई कारगर कदम नहीं उठाया है। यही वजह है कि जैसे ही मप्र के भोपाल, इंदौर, जबलपुर में संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ा तो एक बार फिर से शासन हरकत में आ गया। तत्काल जिला प्रशासन को कोविड मरीजों के लिए जरूरी इंतजाम जुटाने के निर्देश दे दिए। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ने धरातल स्तर पर कोई अहम कदम नहीं उठाया। इसी बीच गुना के एक निजी अस्पताल में एक महिला रेंडम सैंपलिंग के दौरान कोरोना पॉजिटिव पाई गई। इसके बाद ही पूरा प्रशासन फील्ड में उतरा और जिला अस्पताल मेें कोविड इंतजामों की स्थिति पता की।लेकिन यहां के हालात देखकर प्रशासन के पास ज्यादा कुछकरने के लिए है ही नहीं।

यहां बता दें कि जिला प्रशासन कोरोना की पहली और दूसरी लहर देख चुका है। इस दौरान सबसे बड़ी और पहली समस्या मरीजों को भर्ती करने की आईथी। यह स्थिति भी तब बनी जब अस्पताल के कई महत्वपूर्ण वार्डों को कोविड के लिए आरक्षित कर लिया गया। दूसरी अन्य बीमारी के मरीजों को भर्ती करना तक बंद कर दिया। यहां तक कि जरूरी ऑपरेशन तक टाल दिए गए। संक्रमण का दायरा इतना बढ़ा कि एक समय तो प्रसूताओं के ऑपरेशन तक नहीं किए जा रहे थे। उन्हें शिवपुरी मेडिकल कॉलेज रैफर किया जा रहा था। एक तरह से पूरा जिला अस्पताल कोविड वार्ड के रूप में तब्दील हो गया था। ऐसे में अन्य गंभीर बीमारी के मरीज निजी अस्पतालों में जाने लगे। लेकिन देखते ही देखते कोविड के मरीजों की संख्या इतनी बढ़ी कि प्रशासन को इन निजी अस्पतालों में भी कोविड मरीजों को भर्ती करने पलंग आरक्षित करने पड़े। जिसका असर यह हुआ कि गंभीर बीमारी के मरीजों को यहां भी इलाज मिलना बंद हो गया, क्योंकि उन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ था। इनसे सबक लेते हुए प्रशासन को जिला अस्पताल में नया निर्माण कराकर मरीजों को भर्ती करने की क्षमता में विस्तार किया जाना था ताकि कोरोना के प्रकोप के समय अन्य बीमारी के मरीजों को भर्ती करने व इलाज लेने में दिक्कत न हो।
दूसरी समस्या ऑक्सीजन की थी। जिसे शासन की तत्परता की वजह से दूर कर लिया गया है। जिला अस्पताल में एक नहीं बल्कि दो ऑक्सीजन प्लांट लग चुके हैं जबकि तीसरे का कार्य प्रगति पर है। यहां बता दें कि कोरोना से पहले 400 बिस्तरीय जिला अस्पताल मेें सिर्फ 6 5 बैड पर ही ऑक्सीजन प्वाइंट थे। लेकिन कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद पूरे अस्पताल में 300 बैड पर ऑक्सीजन प्वाइंट की सुविधा हो चुकी है। अस्पताल के पुराने भवन में सभी वार्डों को मिलाकर 150 तथा डीईआईसी के नए भवन में 150 बैड पर प्वाइंट हैं। इनमें 20 बैड का कोविड आईसीयू भी शामिल हैं। यह सुविधा भी कोरोना कोरोना के बाद ही प्राप्त हुईहै। जहां तक स्टाफ की बात करें तो इसकी कमी अभी भी बनी हुईहै। क्योंकि ज्यादातर पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना के समय एक निश्चित समय के लिए ही भर्ती किया गया था। जिला अस्पताल के जो विशेषज्ञ व अन्य चिकित्सक हैं उन्हीं से कोविड वार्ड में काम लिया गया था। वर्तमान सैंपल लेने के लिए लैब टेक्नीशियन की काफी कमी है।

कोविड वार्ड बनाने डेंगू के मरीजों को दूसरी जगह भेजा
पिछले दो दिन तक जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में मरीजों को भर्ती करने जगह नहीं थी। यहां तक कि कोविड आईसीयू में भी हृदय रोगी व डेंगू के गंभीर मरीज भर्ती थे। लेकिन जैसे ही गुना में कोरोना का पहला मरीज डिटेक्ट हुआ तो प्रशासन ने आनन फानन में डीईआईसी भवन में संचालित मेडिकल वार्ड का एक हॉल तथा कोविड आईसीयू को खाली करा लिया। वहीं मलेरिया, डेंगू व प्लेटलेट्स कम वाले मरीजों को दूसरे वार्ड शिफ्ट करा दिया। यहीं नहीं कुछ मरीजों की डॉक्टर ने छुट्टी ही कर दी।

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