जानकारी के मुताबिक, जनता का प्रयास और व्यापारियों का संघर्ष और जनप्रतिनिधियों की भाग दौड़ रंग लाई। अंतत: खटकिया कुंभराज रोड पर लगाया गया टोल प्लाजा नाका आगामी आदेश तक स्थगित कर दिया गया। यह खबर शुक्रवार को नगर में आग की तरह फैल गई और जगह-जगह इसके उपलक्ष में खुशियां मनाई गई। मिठाइयों बांटी गई। आतिशबाजी की गई। नगर की एकता की दुहाई दी गई। अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन, आन्दोलन समाप्त हो गया।
आज से खुलेगी मंडी
शनिवार से कृषि मंडी में किसान अपनी फसल की नीलामी करवाकर बेच सकेंगे। इस दौरान सभी ने एक दूसरे को बधाइयां दी, गले मिले और संकल्प लिया कि भविष्य में भी नगर हित में एकजुटता के साथ सार्वजनिक हित में लडाई लडते रहेंगे। जनता, व्यापारी, ट्रक यूनियन, वाहन चालक, गल्ला, धनिया, किराना, कपड़ा, सराफा, हार्डवेयर, सब्जी फल विक्रेता के जबरदस्त विरोध को देखते हुए मप्र सड़क विकास निगम ने आदेश जारी कर दिया कि आगामी आदेश तक टोल प्लाजा नाका स्थगित किया जाता है।
इसलिए पैदा हुआ था विवाद सड़क बनने के 5 साल बाद खटकिया-कुंभराज रोड पर कंपनी ने टोल बनाया था। मात्र 7 किमी के रास्ते पर टोल लगने से नागरिक सहित व्यापारी वर्ग को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। स्कूल के वाहनों तक से टोल वसूला जा रहा था। व्यापारी वर्ग ने शिकायत में बताया था कि कुंभराज की धनिया मंडी एशिया तक विख्यात है। यहां से हर साल करोड़ रुपए का धनिया एक्सपोर्ट होता है। इसी रास्ते पर व्यापारियों के वेयर हाउस हैं। मंडी से वेयर हाउस अनाज भेजने के दौरान भी व्यापारियों को टोल देना पड़ता था। ऐसे में जितनी बार उनकी गाड़ी निकलती, उतनी बार ही टोल वसूला जा रहा है।
स्थानीय लोग बोले-धन्यवाद
सनद रहे कि इसके लिए लगातार एक सप्ताह तक सामूहिक लड़ाई लड़ी गई। पत्रिका ने प्रतिदिन यह मुद्दा उठाकर सबके दिलों में जगह बनाई और पाठकों, प्रशासन, सरकार, जनप्रतिनिधियों का ध्यान समस्या की ओर आकर्षित किया, परिणाम स्वरूप सभी ने पत्रिका को धन्यवाद दिया।
आम जनता और व्यापारियों का निवेदन स्वीकार नहीं हुआ तो आक्रामक होना पड़ा
टोल टैक्स को लेकर शुरुआत में नागरिक और व्यापारियों ने प्रशासन से निवेदन किया। लेकिन जब बात बनती नहीं दिखी तो विभिन्न व्यापारिक संगठनों को एकजुट होकर आक्रामक रुक अपनाना पड़ा। तीन दिन से नगर में लगातार धरना चल रहा था। गुरुवार को चांचौड़ा के प्रभारी एसडीएम वीरेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने भी एमपीआरडीसी से कहा था कि ऐसी जगह टोल लगाना सही नहीं है। इसके बाद नागरिकों ने शुक्रवार को 12 बजे तक का अल्टीमेटम दिया था। परिणाम स्वरूप एमपीआरडीसी और टोल कंपनी को झुकना पड़ा।