उल्लेखनीय है कि भगोरिया हाट प्रारंभ हो गई है। जहां आदिवासी युवाओं ने पहली ढ़ोल मांदल के साथ डीजे की धुन पर नाच गाने किए। युवा डीजे पर थिरकते हुए जुलूस में शामिल हुए। जुलूस पूरी हाट बाजार में निकला। युवाओं ने आकर्षक ढंग से अपनी परंपराओं और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए नृत्य पेश किए।
प्रदेश के धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा और खरगोन की तरह गुना जिले के पाटन बमोरी, खेरिखाता और मारकीमहू में भी मेलों का आयोजन हो रहा है, जिसमें आदिवासी एक दूसरे को गुलाल लगाकर अपने हृदय प्रेम की भावनाओं को जागृत करते हुए सभी से मिलते हैं और प्रेम भाव के साथ नाचते गाते हुए कुछ महिलाएं अपने सांस्कृतिक वेशभूषा में आकर झूला में बैठकर अपने गीत, वाद्य यंत्रों का उपयोग करते हुए बहुत ही अच्छी तरीके से भाग ले रही हैं।
महिलाओं ने बिखेरी आदिवासी संस्कृति
मेलों में महिलाओं और युवतियों ने भी उत्साह से भाग लिया। भगोरिया हाट में महिलाएं अपने हाथों पर गोडऩी प्रथा जैसी सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करते नजर आईं। इस आयोजन में 8 से 9 हजार युवा शामिल हुए। भगोरिया हाट में एक तीर एक कमान आदिवासी एक समान के नारे लगाए।