इन कामों के लिए दिए थे भूखंड
ट्रांसपोर्ट नगर में 661 लोगों को भूखंड आवंटित किए थे। इनमें ढ़ाबा, गोदाम, वर्कशॉप, चाय होटल, पान दुकान, मैकेनिक, वेल्डिंग वर्क्स, आटो पाटर््स, इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग, एसटीडी और होटल आदि खोले जाना थे। । लेकिन किसी भूखंड में नींव डली हुई है तो किसी का बना तो वह क्षतिग्रस्त हो गया।
बिजली-पानी की दी थीं सुविधाएं
यातायात नगर विकसित करने के लिए नपा ने लाखों रुपए खर्च कर बिजली, पानी की व्यवस्था की थी। पानी के लिए टंकी का निर्माण कराया, लेकिन देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो गई है। सड़कों और नाली का निर्माण कराया था, लेकिन नपा लोगों को यहां पर शिफ् ट नहीं कर पाई। इस वजह से इस भूमि का उपयोग नहीं हो पाया।
1986 से 2000 के बीच बांटे थे भूखंड
नपा ने पहली बार भूखंड 1986 में बांटे। पहली बार कम लोग भूखंड लेने पहुंचे। 30 साल पहले यातायात नगर बेहद पिछड़ा क्षेत्र माना जाता था। इसके बाद सन् 1989, 1992, 1995 और 2000 में भूखंडों का आवंटन हुआ। इसके बाद लोगों को भूखंडों पर कब्जा भी दिलाए। दो साल पहले भी कवायद की गई थी, लेकिन इसके बाद भी लोग शिफ्ट नहीं हुए।
रोड किनारे खड़े किए जा रहे वाहन
यातायात नगर शुरू नहीं होने से ट्रक और रोड लाईन्स का दबाव शहर में रहता है। शहरी क्षेत्र में रोड लाईन्स संचालित हैं। इसके अलावा ट्रकों को एबी रोड पर सड़क किनारे जगह-जगह रखे जा रहे हैं। संजय स्टेडियम में ही कई ट्रक रखे जाते हैं। इसी तरह नानाखेड़ी मंडी गेट से लेकर कुशमौदा औद्योगिक क्षेत्र तक कई जगह ट्रक खड़े किए जा रहे हैं। इससे शहर में ट्रकों से हादसे हो रहे हैं।
कुमार पुरुषोत्तम और फ्रेंक ने ली रूचि
तत्कालीन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और वर्तमान कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए ने प्रशासक का पद होने के चलते ट्रांसपोर्ट नगर बसाए जाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए, प्लॉट न लेने वालों को नोटिस भी जारी किए,इस सबके बाद भी वहां विकास कार्य भी कराए, इतना होने पर भी प्लॉट लेने वाले वहां जाने को तैयार नहीं हुए। जबकि वहां थोक सब्जी मंडी भी ले जाने का प्लान तैयार हुआ था। इन दोनों की रूचि के बाद भी न तो प्लॉट धारक वहां जाने को तैयार हैं और न ही वहां पहुंचने वालों के प्लॉट का आवंटन निरस्त हो रहा है।
ट्रांसपोर्ट नगर में 661 लोगों को भूखंड आवंटित किए थे। इनमें ढ़ाबा, गोदाम, वर्कशॉप, चाय होटल, पान दुकान, मैकेनिक, वेल्डिंग वर्क्स, आटो पाटर््स, इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग, एसटीडी और होटल आदि खोले जाना थे। । लेकिन किसी भूखंड में नींव डली हुई है तो किसी का बना तो वह क्षतिग्रस्त हो गया।
बिजली-पानी की दी थीं सुविधाएं
यातायात नगर विकसित करने के लिए नपा ने लाखों रुपए खर्च कर बिजली, पानी की व्यवस्था की थी। पानी के लिए टंकी का निर्माण कराया, लेकिन देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो गई है। सड़कों और नाली का निर्माण कराया था, लेकिन नपा लोगों को यहां पर शिफ् ट नहीं कर पाई। इस वजह से इस भूमि का उपयोग नहीं हो पाया।
1986 से 2000 के बीच बांटे थे भूखंड
नपा ने पहली बार भूखंड 1986 में बांटे। पहली बार कम लोग भूखंड लेने पहुंचे। 30 साल पहले यातायात नगर बेहद पिछड़ा क्षेत्र माना जाता था। इसके बाद सन् 1989, 1992, 1995 और 2000 में भूखंडों का आवंटन हुआ। इसके बाद लोगों को भूखंडों पर कब्जा भी दिलाए। दो साल पहले भी कवायद की गई थी, लेकिन इसके बाद भी लोग शिफ्ट नहीं हुए।
रोड किनारे खड़े किए जा रहे वाहन
यातायात नगर शुरू नहीं होने से ट्रक और रोड लाईन्स का दबाव शहर में रहता है। शहरी क्षेत्र में रोड लाईन्स संचालित हैं। इसके अलावा ट्रकों को एबी रोड पर सड़क किनारे जगह-जगह रखे जा रहे हैं। संजय स्टेडियम में ही कई ट्रक रखे जाते हैं। इसी तरह नानाखेड़ी मंडी गेट से लेकर कुशमौदा औद्योगिक क्षेत्र तक कई जगह ट्रक खड़े किए जा रहे हैं। इससे शहर में ट्रकों से हादसे हो रहे हैं।
कुमार पुरुषोत्तम और फ्रेंक ने ली रूचि
तत्कालीन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और वर्तमान कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए ने प्रशासक का पद होने के चलते ट्रांसपोर्ट नगर बसाए जाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए, प्लॉट न लेने वालों को नोटिस भी जारी किए,इस सबके बाद भी वहां विकास कार्य भी कराए, इतना होने पर भी प्लॉट लेने वाले वहां जाने को तैयार नहीं हुए। जबकि वहां थोक सब्जी मंडी भी ले जाने का प्लान तैयार हुआ था। इन दोनों की रूचि के बाद भी न तो प्लॉट धारक वहां जाने को तैयार हैं और न ही वहां पहुंचने वालों के प्लॉट का आवंटन निरस्त हो रहा है।