scriptपत्रिका मंडे मेगा स्टोरी : तीन साल में दो सिविल सर्जन बदले लेकिन जिला अस्पताल के हालात नहीं बदले | Two civil surgeons changed in three years but the situation of the dis | Patrika News

पत्रिका मंडे मेगा स्टोरी : तीन साल में दो सिविल सर्जन बदले लेकिन जिला अस्पताल के हालात नहीं बदले

locationगुनाPublished: Oct 18, 2021 08:52:39 pm

Submitted by:

Narendra Kushwah

वे काम जो तीन साल बाद भी शुरू नहीं हो सके- जिला अस्पताल परिसर में फर्श निर्माण, नया मेडिकल स्टोर कक्ष और आवास- जर्जर फर्श की वजह से मरीजों को ले जाने में आती है परेशानी, गड्ढों में होता है जल भराव- एक छोटे से कमरे में वर्षों से चल रहा औषधि वितरण केंद्रएक साथ 10 मरीजों को खड़े होने भी जगह नहीं- बेहद जर्जर और खंडहरनुमा आवासों में रहने को मजबूर कर्मचारी

पत्रिका मंडे मेगा स्टोरी : तीन साल में दो सिविल सर्जन बदले लेकिन जिला अस्पताल के हालात नहीं बदले

पत्रिका मंडे मेगा स्टोरी : तीन साल में दो सिविल सर्जन बदले लेकिन जिला अस्पताल के हालात नहीं बदले

गुना. सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद गुना जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं व व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रशासनिक स्तर पर स्थिति इतनी दयनीय है कि जो काम तीन साल पहले होने थे वे आज तक शुरू नहीं हो सके हैं। जिनके कारण न सिर्फ मरीज व अटैंडर परेशान हैं बल्कि डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ भी इसका दंश झेल रहा है। यहां बता दें कि इन कामों को शुरू करने के लिए तीन साल पहले निरीक्षण पर आए तत्कालीन हैल्थ डायरेक्टर ने सिविल सर्जन व प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए थे। साथ ही यही भी कहा था कि आप यदि इन व्यवस्थाओं को नहीं सुधारेंगे तो आपके यहां ट्रेंड स्टाफ नौकरी करने क्यों आएगा। मौके पर तो सभी अधिकारियों ने सुविधाएं बढ़ाने के लिए हां भर ली थी लेकिन इसके बाद एक-एक कर तीन साल में दो सिविल सर्जन बदल चुके हैं लेकिन एक भी काम अब तक शुरू नहीं हो सका है।
जिला अस्पताल के पूरे परिसर का फर्श उखड़ा
समस्या : परिसर के अधिकांश हिस्से में पेवर्स टाइल्ट उखड़ चुकी है। कुछ हिस्से में सड़क थी जो जर्जर हो चुकी है। कई जगह गहरे गड्ढे हो गए हंै। इसी तरह टाइल्स उखडऩे से पूरा परिसर गड्ढेनुमा हो गया है। बारिश के समय में बहुत ज्यादा जल भराव हुआ। परिसर में पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। मरीजों को स्ट्रेचर पर ले जाने में बहुत ज्यादा दिक्कत आ रही है। मेटरनिटी विंग से गर्भवती महिला को काफी दूर तक स्टे्रेचर पर रखकर ऑपरेशन थियेटर तक ले जाना पड़ता है। इसी तरह शव को भी पोस्टमार्टम हाउस तक ले जो में काफी ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वाहन पार्किंग में भी दिक्कत आ रही है। सफाईकर्मियों को झाडू लगाने में तथा कचरा एकत्रित करने में बहुत परेशानी आ रही है।

छोटे से कक्ष में संचालित औषधि वितरण केंद्र
समस्या : 300 से 1000 हजार तक की ओपीडी वाले जिला अस्पताल में सभी तरह के मरीजों को दवाई देने के लिए औषधि वितरण केंद्र एक छोटे से कक्ष में संचालित है। जहां एक साथ 10 मरीजों को खड़े होने भी जगह नहीं है। इस समस्या को दूर करने के लिए तीन साल पहले ही नई मेडिकल स्टोर निर्माण की मंजूरी शासन दे चुका है लेकिन अब तक इसके निर्माण के लिए प्रशासन जगह चिन्हित नहीं कर सका है। मजबूरी में स्टाफ और मरीजों को इस संकुचित जगह में ही खड़े होकर दवा लेना पड़ रहा है। शासन की कोविड-19 गाइड लाइन का यहां आज तक पालन नहीं हुआ है। यह समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि वर्तमान में अस्पताल प्रशासन वैकल्पिक रूप से कक्ष में मौजूद खिड़कियों से दवा बंटवाने की प्लानिंग कर रहा है। यह खिड़कियां बाहर की ओर खुलती हैं। जहां मरीजों को धूप व बारिश से बचाने टीनशेड लगाना जरूरी है। लेकिन यहां भी पर्याप्त जगह का अभाव है।

जर्जर आवास, संख्या कम, कहां रहे इमरजेंसी स्टाफ
समस्या: जिला अस्पताल में पदस्थ कुल स्टाफ में से आधा सैकड़ा अधिकारी-कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें दिन व रात में इमरजेंसी ड्यूटी देनी पड़ती है। साथ ही कई बार आपातकालीन केस आने पर उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचना होता है। जिसके लिए उनका आवास अस्पताल परिसर में ही होना जरूरी होता है। इस आपातकालीन स्थिति को देखते हुए शासन ने परिसर में ही कई भवन बनवाए हैं जिनका समय पर मेंटेनेंस नहीं किया गया। जिसके कारण यह भवन वर्तमान में बेहद जर्जर अवस्था में पहुंचकर खंडहरनुमा हो चुके हैं। वहीं जो आवास बने हैं वह एक मंजिला ही हैं। ऐसे में इमरजेंसी सेवाओं में तैनात स्टाफ की संख्या के हिसाब से भवनों की संख्या काफी कम है। इस स्थिति में उस स्टाफ को आवास की सुविधा नहीं मिल पा रही है जिसे वास्तविक रूप से उसकी आवश्यकता है। हैल्थ डायरेक्टर ने पुराने और जर्जर आवासों को तोड़कर दो दो से तीन मंजिला आवास बनाने के लिए कहा था ताकि सभी जरुरतमंदों को आवास की सुविधा मिल सके।

शुद्ध पेयजल तक उपलब्ध नहीं
जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज, अटैंडर और स्टाफ के लिए शुद्ध पेयजल तक उपलब्ध नहीं है। लगभग ढाई साल पहले शुद्ध और ठंडा पेयजल उपलब्ध कराने के नाम पर लाखों रुपए के दो फिल्टर प्लांट लगाए गए थे। जो उचित देखरेख और मेंटीनेंस के अभाव में बमुश्किल एक साल भी नहीं चल पाए। वर्तमान में दो फिल्टर प्लांट में मात्र दो ही टोंटी लगी हैं, जिनमें से सादा पानी आता है। अस्पताल से जुड़े सूत्र बताते हैं कि परिसर में जो ट्यूबवैल है उसका पानी इतना ज्यादा अमानक है कि वह सीधे मरीजों के लिए तो क्या सामान्य व्यक्ति के लिए भी पीने योग्य नहीं है। इसी वजह से फिल्टर प्लांट लगाया था। जो इस पानी को फिल्टर करते-करते खराब हो गया। प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने नगर पालिका की जलावर्धन योजना के तहत नल कनेक्शन के लिए पीएचई को लिखा था लेेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां बता दें कि सिविल सर्जन सहित अन्य आला अधिकारी बाजार से आरओ का पानी खरीदकर पीते हैंं। जिसका बिल शासन की मद से चुकाया जाता है।
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