स्थिति का लिया जायजा….
उधर शहर में व्याप्त पानी के संकट को लेकर नपा सीएमओ सीपी राय ने शनिवार को घसारही पर जाकर स्थिति का जायजा लिया तथा पाइप बढ़ाकर पानी लिफ्ट करने का प्रयास करने के निर्देश एई आरडी शर्मा को दिए।
शहर में सप्लाई ठप…
शहर की 40 फीसदी आबादी को नलों के माध्यम से पानी सप्लाई करने वाले फिल्टर प्लांट तक पानी पहुंचाने वाला घसारही तालाब इस बार नवंबर में ही सूख गया, जिसके चलते शहर में सप्लाई ठप हो गई थी।
सूखने की कगार पर आ जाएगा चांदपाठा…
जबकि हर बार घसारही का पानी मार्च-अप्रैल में कम होता था, जिसे चांदपाठा का पानी छोड़कर भरा जाता था। इस बार दिसंबर शुरू होने से पहले ही शहर की आबादी को पानी देने के लिए तीन बार चांदपाठा से पानी छोड़ा जा चुका है। यदि स्थिति ऐसी ही रही तो आने वाले जनवरी-फरवरी में चांदपाठा भी सूखने की कगार पर आ जाएगा और इंसानों के साथ-साथ नेशनल पार्क के वन्यप्राणियों को भी जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
अभी तक तीन बार छोड़ा चांदपाठा से पानी…
माधव नेशनल पार्क के सहायक संचालक ने बताया कि घसारही का मेंटेनेंस जल संसाधन विभाग के पास है और पिछले दिनों जब इसके सूखने की खबर मिली तो हमारे चीफ कंजरवेटर भी वहां गए थे। वहां पर मौजूद पीएचई के कर्मचारियों सहित अन्य लोगों ने बताया कि जल संसाधन विभाग ने किसानों को पानी बेच दिया तथा जान बूझकर घसारही से नहर को भरा गया। जबकि घसारही से शहर की आबादी को पीने का पानी देना पहली प्राथमिकता है।
पानी का सौदा करके उन्होंने शहर को प्यासा कर दिया तथा किसानों को पानी बेच दिया। उनका कहना है कि अभी तक हम तीन बार चांदपाठा से पानी घसारही में छोड़ चुके हैं, जबकि अभी तो सर्दी शुरू हुई हैं। यदि ऐसे ही पानी देेते रहे तो गर्मियों से पहले चांदपाठा भी सूख जाएगा।
हां, हमने दिया किसानों को पानी
जल संसाधन विभाग के ईई ओपी गुप्ता ने स्वीकार किया है कि हमने घसारही से किसानों को पानी दिया है। साथ ही वे यह भी कह रहे हैं कि घसारही से पहली बार किसानों को पानी नहीं दिया, बल्कि पिछले 40 साल से उन्हें पानी दे रहे हैं। चांदपाठा में तो पर्याप्त पानी है और वहां से घसारही में पानी ले सकते हैं। ऐसी कोई समस्या नहीं आएगी।
घसारही के पानी को जल संसाधन विभाग ने किसानों को बेच दिया, जबकि प्राथमिकता शहर को पानी सप्लाई की रहती है। वे जान बूझकर लीकेज मोरी को भी बंद नहीं कर रहे, इसके पीछे उनकी ही कुछ गलत मंशा है। अभी तक ही तीन बार चांदपाठा से पानी दिया, यदि ऐसे ही देते रहे तो इंसानों के अलावा वन्यजीवों को पानी नहीं मिलेगा।
केपी भालसे, सहायक संचालक माधव राष्ट्रीय उद्यान
आज हमने घसारही पर जाकर देखा, तथा सेक्शन का पाइप बढ़ाकर पानी फिल्टर तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। चांदपाठा से भी पानी लिया है तथा जल संसाधन विभाग भी मोरी को दुरुस्त करवा रहा है। उम्मीद है कि अब घसारही में पानी रुकेगा।
सीपी राय, सीएमओ नपा शिवपुरी