पत्रिका पब्लिक इश्यू : ऐसी मदद किस काम की, न पक्का घर बना पा रहे और न पानी, बिजली, शौचालय की व्यवस्था
गुनाPublished: May 21, 2022 01:17:20 am
स्कूूल की अधिक दूरी और रास्ते में जाम ने रोके शिक्षा के कदमसीसी सड़क इतनी घटिया बनाई, जो निर्माण के बाद ही हुई जर्जर
पत्रिका पब्लिक इश्यू : ऐसी मदद किस काम की, न पक्का घर बना पा रहे और न पानी, बिजली, शौचालय की व्यवस्था,पत्रिका पब्लिक इश्यू : ऐसी मदद किस काम की, न पक्का घर बना पा रहे और न पानी, बिजली, शौचालय की व्यवस्था,पत्रिका पब्लिक इश्यू : ऐसी मदद किस काम की, न पक्का घर बना पा रहे और न पानी, बिजली, शौचालय की व्यवस्था
गुना. सरकार की जनहितैषी योजनाओं का धरातल पर जरूरतमंदों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसका एक उदाहरण नगर के वार्ड क्रमांक एक में सामने आया है। जिसके अंतर्गत आने वाली दीनदयाल कॉलोनी पिछले लंबे समय से प्रशासन द्वारा उपेक्षा का शिकार बनी हुई है। खासकर कॉलोनी के एक हिस्से में रहने वाले घुमक्कड़ जाति के अगरिया परिवार को सरकार की किसी भी योजना का लाभ अभी तक नहीं मिला है। यहां रहने वाले 40 परिवारों के 70 से अधिक लोगों को शासन ने रहने जमीन तो कई साल पहले दी थी। लेकिन उसका पट्टा न मिलने से आज तक यह लोग शासन की पीएम आवास योजना का लाभ उठाकर पक्का मकान नहीं बनवा पा रहे हैं। मजबूरी में मिट्टी व घास फूस की झोंपड़ी में रहने को मजबूर हैं। प्रशासन ने बिजली, पानी, स्कूल की भी कोई व्यवस्था नहीं की है। यहां रहने वाले परिवार के बच्चों को काफी दूर कृषि उपज मंडी के अंदर से होकर पैदल ही स्कूल तक जाना पड़ता है। इस परेशानी की वजह से कई बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। कुल मिलाकर शासन-प्रशासन के दावों की पोल यह वार्ड खोल रहा है।
जानकारी के मुताबिक भाजपा कार्यकर्ता अपनी सरकार की योजनाओं का लाभ अंतिम छोर के हर पात्र और जरुरतमंद व्यक्ति तक पहुंचाने का दावा अपने कार्यक्रमों के दौरान कर रहे हैं। वहीं कांग्रेसी भी वार्ड-वार्ड घूमकर आम जनता की समस्या जानने का दावा कर रही है लेकिन हम जिस वार्ड के बारे में बता रहे हैं वहां दोनों ही पार्टी के नेता व कार्यकर्ता अभी तक नहीं गए हैं। यह वार्ड नगर का सबसे पहला है। जिसे नानाखेड़ी कृषि उपज मंडी ने दो भागों में बांट दिया है। इसका एक हिस्सा सेंट्रल स्कूल से लगा हुआ है जबकि दूसरा मंडी के पीछे है। सरकार की योजनाओं का लाभ और विकास कार्यों की धरातलीय स्थिति देखें तो सबसे खराब हालात दीनदयाल वार्ड के हैं। जहां बेहद गरीब और मजदूर वर्ग निवास करता है। जिन्हें वास्तविक रूप से शासकीय योजनाओं के लाभ की जरूरत है। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और नेताओं के स्वार्थ के कारण यह लोग लाभ से वंचित बने हुए हैं।
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यह मिली जमीनी हकीकत
वार्ड क्रमांक एक की दीनदयाल कॉलोनी सेंट्रल स्कूल के पास स्थित है। कॉलोनी का पहुंच मार्ग स्कूल के पास से गया है। जहां डामर रोड बन चुकी है, जो किशोर जेल तक पहुंचते ही समाप्त हो जाती है। इसके बाद सीसी सड़क है, जो कुछ ही गलियों में डाली गई है। शेष गलियों के कच्चा मार्ग है। नालियां भी कहीं-कहीं बनी हुई हैं। जिससे घरों से निकला पानी आसपास ही जमा हो रहा है। बारिश के दिनों में यह परेशानी ज्यादा गंभीर हो जाती है। पानी की कमी की वजह से अधिकांश शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे।
कॉलोनी से होकर एक मार्ग शासकीय छात्रावास की ओर जाता है। इसके ठीक सामने खाली पड़ी जमीन पर घुमक्कड़ जाति के लोग निवास करते हैं। यह सभी मिट्टी और घासफूल की टपरिया बनाकर निवास कर रहे हैं। जानकारी लेने पर पता चला कि लगभग 25 से 30 साल पहले शासन ने यहां इनके रहने के लिए आवास बनवाए थे। लेकिन ठेकेदार द्वारा इतने छोटे और घटिया क्वालिटी के आवास बनाए गए कि इनका एक महीने भी नहीं हो पाया। जिसके बाद यह खंडहर में तब्दील हो गए। तब से लेकर आज तक यहां के रहवासियों को पक्के आवास की सुविधा नहीं मिल सकी है।
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बिजली : कच्चा हो या पक्का मकान, बिजली हर व्यक्ति की जरूरत बन चुकी है। लेकिन यहां रहने वाले 70 से अधिक लोगों को प्रशासन ने बिजली मुहैया नहीं कराई है। ऐसे में रहवासियों ने अपने स्तर से खंभे और डीपी से सीधे तार डालकर बिजली का उपयोग कर रहे हैं। जब किसी कारण लाइन में खराब आती है तो इसे ठीक कराना इनके वश की बात नहीं है। क्योंकि इनके पास न तो विधिवत कनेक्शन है और न ही बिल।
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पानी : नगरीय क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पेयजल मुहैया करना नगर पालिका का दायित्व है। लेकिन इन परिवारों को पानी की व्यवस्था कहां से और कैसे की जानी है इस ओर जिम्मेदार अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है। स्थानीय नागरिकों ने बताया बस्ती से कुछ दूर पेयजल पाइप लाइन है। वहां नल सुबह 4 से 4.30 बजे के बीच मात्र 30 मिनट को आते हैं। जिससे सभी लोग पानी नहीं भर पाते। ऐसे में बस्ती से दूर एक हैंडपंप से पानी भरकर लाना पड़ता है।
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सड़क : दीनदयाल वार्ड में एक शासकीय छात्रावास का भवन है। जहां तक जाने के लिए प्रशासन ने दो साल पहले सीसी सड़क डलवाई थी। जिसकी क्वालिटी इतनी घटिया थी कि वह निर्माण के बाद ही उखड़ गई। वर्तमान में यह बेहद क्षतिग्रस्त हालत में है। बताया गया है कि यह सड़क भी सिर्फ इसलिए डाली गई क्योंकि अधिकारियों का उक्त छात्रावास तक आना जाना होता है।
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शिक्षा : यहां रहने वाले परिवार के बच्चों को पढ़ने आसपास सरकारी स्कूल नहीं है। जो है वह यहां से काफी दूर मंडी के दूसरी ओर है। जहां तक आने जाने में बच्चों को बहुत ज्यादा परेशानी आती है। क्योंकि रास्ता मंडी के अंदर से होकर ही जाता है। इस वजह से अधिकांश बच्चे स्कूल ही नहीं जाते। उक्त समस्या प्रशासन के संज्ञान में है फिर भी अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
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नहीं हो रही सुनवाई
हमारी कॉलोनी में रहने वाले किसी को भी शासन की योजना का लाभ नहीं मिला है। मैंने 6 साल पहले कुटीर के लिए फार्म भरा था। तब से लेकर अब तक हर बार अगले दो चार माह में कुटीर के लिए किश्त मिलने की बात कह दी जाती है लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। यहां न तो बिजली है और न आसपास स्कूल। पानी भी मुश्किल से मिल पा रहा है। बिजली वाले यहां लाइट कनेक्शन नहीं देेते इसलिए खंभे से डायरेक्ट तार डालकर बिजली लेनी पड़ रही है।
अनीता बाई, रहवासी
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कई बार की मांग, नतीजा सिफर
वार्ड क्रमांक एक अंतर्गत आने वाली दीनदयाल दयाल कॉलानी का कुछ हिस्सा सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त है। जिसमें ज्यादादर धुमक्कड़ जाति के लोग रहते हैं, जिन्हें सरकार की किसी भी जनहितैषी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मैंने कई बार कोशिश की लेकिन प्रशासन के असहयोग और उदासीन रवैए के कारण आज तक कोई सुधार नहीं हो सका है।
प्रसन्न शिशुपाल यादव, निवर्तमान पार्षद
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