44 केंद्रों पर जिनता भी गेहूं खरीदा गया है, वो खुले में पड़ा है। उसका परिवहन नहीं हो पाया है। उस गेहूं की चोरी से बचाने की भी सुरक्षा नहीं है। जबकि मौसम खराब होने से गेहूं भीगने का खतरा बना है।
उधर, समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी का आंकड़ो धीमी रफ्तार से बढ़ रहा है। खरीदी के दूसरे हफ्ते में 39390.24 क्विंटल गेहूं की खरीदी हो सकी है। ये खरीदी 44 उपार्जन केंद्रों से की है। अभी 22 केंद्रों पर कोई खरीदी नहीं की जा सकी। इनमें से तीन केंद्रों पर तो अब तक कोई प्रबंधक भी नियुक्त नहीं किए गए। जबकि इस साल इसलिए ही केंद्र बढ़ाकर 66 किए गए हैं कि किसानों को दिक्कत न हो और उनकी उपज खरीदी जा सके। मगर, उपार्जन केंद्रों पर अब तक मुश्किल से 39 क्विंटल गेहूं ही खरीदा जा सका है।
खाद्य विभाग उपार्जन केंद्रों को शुरू कराना तो दूर पानी और छांव का इंतजाम नहीं करा पाया। चकदेवपुर, रामपुर कालोनी और झागर में पानी का इंतजाम नहीं है। झागर में पानी की टंकी रखी है, उसमें गर्म पानी हो जाता है। किसानों को गांव तक पानी लेने जाना पड़ता है। नेगमा, सिलावटी में भी काफी दिक्कत हो रही है। किसानों ने बताया, पहले तो यहां देर से केंद्र शुरू हुए हैं, इसके बाद भी सुविधाएं नहीं हैं। किसी को शिकायत करो भी तो कोई सुनने वाला केंद्रों पर नहीं होता है और ना ही उनके नंबर चस्पा हैं।
यहां किसान पहुंचे तो कांटे कम हैं
ढ़ोलबाज और बजरंगगढ़ के उपार्जन केंद्र पर किसान बड़ी संख्या में पहुंचे तो यहां पर अब तौल कराने में परेशानी हो रही है। किसानों ने बताया, दो केंद्रों पर केवल दो तौल कांटे हैं। इस वजह से एक ट्राली को तौलने में दो घंटे लग जाते हैं। इस सोसायटी का एक अप्रैल तक शुरू होना लेकिन 7 अप्रैल से शुरू किया गया। किसानों ने यहां पर पांच तौल कांटे शुरू कराने की मांग की है। उधर, झागर सोसाइटी पर भी तौल में देरी हो रही है। यहां भी किसानों को दिक्कत हो रही है।