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गुडगाँव

लॉकडाउन: सब काम थे ठप, तब भी हो रही थी मानव तस्करी

असम, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में सर्वाधिक मामले

गुडगाँवOct 09, 2021 / 08:58 pm

Devkumar Singodiya

नई दिल्ली. कोविड के दौरान पहली बार जब लॉकडाउन लगा, तब देश दुनिया में तमाम कामकाज ठप हो गए, लेकिन मानव तस्करी तब भी जारी रही। मानवाधिकारों को तार-तार करने वाली मानव तस्करी का खुलासा हुआ है राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में। देश के 20 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेश में खुली 696 एंटी ह्मूमन ट्रेफिकिंग यूनिट्स के बावजूद मानव तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है। हालात महाराष्ट्र में सबसे अधिक भयाव हैं। मानव तस्करी का घृणित कार्य राजधानी दिल्ली में भी जारी है। वहां वर्ष 2018 में 98 मामले दर्ज किए गए, वहीं क्रमश: 2019 में 93, 2020 में 53 मामले सामने आए।

 

100 करोड़ का निर्भया फंड
केन्द्र सरकार के महिलाओं की सुरक्षा व सशक्तीकरण के लिए बने निर्भया फंड से मानव तस्करी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। मानव तस्करी के अधिकतर मामलों में पीडि़त बालिग व नाबालिग महिलाएं है। इसके लिए 100 करोड़ रुपए का फंड रखा गया है। मानव तस्करी शारीरिक शोषण, देह व्यापार और बंधुआ मजदूरी के लिए की जा रही है। मानव तस्करी के लिए एशिया में भारत का नाम सबसे ऊपर देश है। ड्रग्स और हथियारों के बाद यह तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। मानव तस्करी में गरीब क्षेत्रों की बालिग-नाबालिग लड़कियां होती है, जिनमें से 80 प्रतिशत देह व्यापार और शेष बंधुआ मजदूरी व अन्य के लिए लाई जाती हैं।

 

अमरीकी रिपोर्ट में भारत की टियर-2 श्रेणी
मानवता को शर्मसार कर देने वाली मानव तस्करी सभ्य समाज के माथे पर कलंक है। पिछले दिनों ही अमरीकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट टै्रफिकिंग इन पर्संस रिपोर्ट-2021 में भारत को गत वर्षों की तरह टियर-2 श्रेणी में रखा है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में सरकार ने मानव तस्करी को रोकने के लिए प्रयास तो किए, लेकिन इसे रोकने से जुड़े न्यूनतम मानक भी हासिल नहीं किए जा सके।

 

राज्य 2018 2019 2020
महाराष्ट्र 311 282 184
आसाम 308 201 124
आंध्रप्रदेश 240 245 171
तेलंगाना 242 123 184
राजस्थान 46 141 128

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