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हरियाणा रीयल एस्टेट रेगुलेशन अथाॅरिटी की बडी कार्रवाई,अधूरे फ्लैट पूरे करवा कर दिए जायेंगे खरीददारों को

locationगुडगाँवPublished: Aug 04, 2018 02:24:29 pm

डा. खण्डेलवाल ने बताया कि अथाॅरिटी ने एक्ट की धारा-35 के अंतर्गत अपनी शक्तियों का प्रयोग प्रोफेसर एम एस तुरान को इस प्रोजैक्ट का कमिशनर इंवेस्टिगेशन नियुक्त किया है जो जांच करके 10 दिन में सही तथ्य अथोरिटी के समक्ष रखेंगे…

(चण्डीगढ़): गुरूग्राम स्थित हरियाणा रीयल एस्टेट रेगुलेशन अथाॅरिटी ने बडा कदम उठाते हुए गुरुग्राम के सैक्टर-89 में अधूरे रहे ग्रीनोपोलिस नामक रीयल एस्टेट प्रोजैक्ट के फ्लैट अपनी देख-रेख में पूरे करवाते हुए खरीददारों को सौंपने का निर्णय लिया है। बहरहाल,अथाॅरिटी द्वारा ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर तथा थ्री सी शैल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटिड के सभी बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं।

 

अथाॅरिटी के चेयरमैन डा. के के खण्डेलवाल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि गुरुग्राम के सैक्टर-89 में ग्रीनोपोलिस नामक प्रोजैक्ट में 1862 खरीददारों को फ्लैट आवंटित किए गए थे और ये खरीददार 80 प्रतिशत से ज्यादा कीमत अदा कर चुके हैं जबकि फ्लैटों का निर्माण कार्य 40 से 50 प्रतिशत ही हुआ है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजैक्ट के लिए ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा वर्ष 2011 में लाईसेंस लिया गया था और खरीददारों को वर्ष 2012-13 में फ्लैट आवंटित किए गए। इस प्रोजैक्ट में दिसंबर-2015 में कब्जा दिया जाना तय था लेकिन नहीं दिया गया। इस कारण खरीददार मानसिक प्रताडना से गुजर रहे है। खरीददार एसोसिएशन लगातार इस मुद्दे को उठाकर प्रदर्शन कर रही थी।

 

एसोसिएशन ने इस सिलसिले में अथाॅरिटी को शिकायत दी। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर को 47 एकड़ का लाईसेंस मिला था जिसमें से 37 एकड़ पर यह हाउसिंग प्रोजैक्ट बनाया जा रहा था। ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर ने लाईसेंस प्राप्त करने के उपरांत थ्री सी शैल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटिड के साथ समझौता करके निर्माण की जिम्मेदारी उसे सौंप दी और समझौते के अनुसार फ्लैटों में से 35 प्रतिशत फ्लैट ओरिस द्वारा तथा 65 प्रतिशत फलैट थ्री सी शैल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा बेचे जाने थे। उन्होंने बताया कि शिकायत में आरोप है कि ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर ने फ्लैटों की बुकिंग से 300 करोड़ तथा थ्री सी इंफ्रास्ट्रक्चर ने 800 करोड़ रूपए की राशि इक्कट्ठा कर ली परंतु इतना पैसा प्रोजैक्ट के तहत निर्माण पर नहीं लगाया । इसका मतलब यह रहा कि पैसा कहीं और लगाया गया है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि प्रोजेक्ट को पूरा करने में अभी लगभग 500 करोड़ रूपए और लगेगे। इसके अलावा, 82 करोड़ रूपए ईडीसी के भरने बकाया हैं। इस हिसाब से प्रोजैक्ट पर लगभग 582 करोड़ रूपए का खर्च और आएगा। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि खरीददारों से बकाया राशि के तौर पर 120 करोड़ रूपए मिल सकते हैं तथा प्रोजैक्ट के बचे हुए फ्लैटों व जमीन से लगभग 250 करोड़ रूपए मिलने का अनुमान खरीददार एसोसिएशन द्वारा लगाया गया है।

 

उन्होंने बताया कि अथाॅरिटी द्वारा खरददारों की समस्या को देखते हुए ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर तथा थ्री सी शैल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटिड के सभी बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब अथोरिटी द्वारा अपनी देख-रेख में इस प्रोजैक्ट को पूरा करवाया जाएगा ताकि खरीददारों के हितों की रक्षा की जा सके। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि अथाॅरिटी ने एक्ट की धारा-35 के अंतर्गत अपनी शक्तियों का प्रयोग प्रोफेसर एम एस तुरान को इस प्रोजैक्ट का कमिशनर इंवेस्टिगेशन नियुक्त किया है जो जांच करके 10 दिन में सही तथ्य अथोरिटी के समक्ष रखेंगे। इसके अलावा, सभी स्टेक होल्डरों की सहमति से वितीय अनियमित्ताओं की जांच के लिए कैरीज एण्ड ब्राउन नामक डयू डिलिजेंश फाईनेंशियल फर्म को जिम्मेदारी दी गई है और कितने फ्लैट बेचे गए व कितने बचे हुए हैं, इसका सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी क्वांटम इंफ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटिड को दी गई है, जो दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगे।

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