कुरूक्षेत्र से भाजपा की टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा सांसद बनने वाले राजकुमार सैनी लंबे समय से भाजपा के लिए मुसीबत बने हुए हैं। हरियाणा में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान राजकुमार सैनी ने प्रदेश भर में जाटों के विरूद्ध मोर्चा खोलते हुए खुद को पिछड़ा वर्ग के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिशों में लगे थे।
राजकुमार सैनी कई माह पहले लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का गठन कर चुके हैं। सैनी ने अपनी पार्टी के बैनर तले हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव के दौरान भी प्रत्याशी खड़े किए थे। अब हाल ही में हुए जींद उपुचनाव में भी सैनी ने अपनी पार्टी का प्रत्याशी खड़ा करते हुए भाजपा के विरूद्ध प्रचार किया था। सैनी ने जींद उपचुनाव में विनोद आश्री को मैदान में उतारा। उनके उम्मीदवार ने 13 हजार से अधिक वोट हासिल किए, जो राज्य के प्रमुख विपक्षी दल इनेलो से करीब पांच गुना अधिक है। भाजपा का मानना है कि सैनी यदि इस उपचुनाव में ताल नहीं ठोंकते तो भाजपा उम्मीदवार डॉ. कृष्ण मिढा की जीत का अंतर काफी अधिक हो सकता था। हरियाणा भाजपा ने सैनी के बारे में पूरी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को दी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी राजकुमार सैनी के जींद उपचुनाव में उतरने और अलग पार्टी बनाने खासे नाराज थे।
भाजपा हाईकमान के निर्देश मिलने के बाद प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने पहली बार कहा कि राजकुमार सैनी व्यवहारिक तौर पर न तो भाजपा के हैं और न ही भाजपा उनकी है। अब उन्हें पार्टी के किसी आयोजन की न तो सूचना दी जाती है और न ही बुलाया जाता है। राजकुमार सैनी भी कई बार भाजपा पर हमलावर होते हुए खुद को पार्टी से निकालने की चुनौती दे चुके हैं, लेकिन पार्टी उन्हें निकाल नहीं रही। अब भाजपा ने उनसे पूरी तरह किनारा करने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार हाईकमान के निर्देशों के बाद भाजपा अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखा सकती है। अभी तक सैनी तकनीकी रूप से भाजपा के साथ ही थे। सैनी की लगातार बढ़ रही पार्टी विरोधी गतिविधियों और लोकसभा चुनाव में बहुत कम समय शेष रहने के चलते पार्टी बहुत जल्द सैनी के विरूद्ध कठोर फैसला ले सकती है।