कांग्रेस हाईकमान ने फरवरी 2014 में अशोक तंवर को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया था। तंवर की ताजपोशी के साथ ही हुड्डा गुट ने उनका विरोध शुरू कर दिया था। हुड्डा तथा उनके समर्थित एक दर्जन विधायक कभी भी तंवर द्वारा बुलाई गई बैठक में नहीं आए। हुड्डा गुट लगातार हाईकमान पर दबाव बनाए हुए था। रोहतक में महापरिवर्तन रैली करने के बाद हुड्डा सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर चुके थे। अंतिम फैसला लेने के लिए हुड्डा द्वारा गठित कमेटी ने मंगलवार को दिल्ली में बैठक करके हुड्डा को अधिकृत किया था।
इस बीच बुधवार की सुबह सोनिया गांधी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अपने आवास पर बुलाया। करीब डेढ घंटे तक चली इस बैठक में गुलाम नबी आजाद भी मौजूद रहे। बैठक के बाद राज्यसभा सांसद एवं गांधी परिवार की करीबी कुमारी शैलजा को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया। शैलजा गांधीवादी दलित परिवार से हैं। अशोक तंवर का विरोध करने वाले हुड्डा व उनके समर्थकों को अब शैलजा के नेतृत्व में काम करना पड़ेगा। हुड्डा को शांत करते हुए हाईकमान ने किरण चौधरी को हटाकर उन्हें विधायक दल का नेता बना दिया है। इसके अलावा हुड्डा को चुनाव प्रबंधन समीति का अध्यक्ष बनाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि हुड्डा की जिद के आगे झुक़ी हाईकमान ने उन्हें ऐसे समय में विधायक दल का नेता बनाया है जब न तो विधानसभा का सत्र होगा और मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में एक सप्ताह का समय बचा है।
हुड्डा के विरोध के बावजूद भेजा गया था राज्यसभा
कांग्रेस पार्टी में भले ही कैसा दौर क्यों न रहा हो लेकिन कुमारी शैलजा की गिनती कांग्रेस पार्टी तथा दस जनपथ के वफादारों में हुई है। वर्षों की वफादारी का इनाम उन्हें बुधवार को मिल गया।
वर्ष 1990 में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में सक्रिय राजनीति में आनी वाली कुमारी शैलजा को 29 साल बाद हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंपी गई है। शैलजा के पिता दलबीर सिंह भी हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। यूपीए सरकार में मंत्री रही कुमारी शैलजा देश में सत्ता परिवर्तन के बाद गांधी परिवार के बेहद करीब रही हैं। संसद भवन परिसर में सोनिया गांधी का अचानक स्वास्थ्य बिगडऩे का घटनाक्रम हो या फिर से बीमारी की हालत में सोनिया द्वारा कर्नाटक में चुनाव प्रचार के लिए जाने का कार्यक्रम हो कुमारी शैलजा पिछले करीब साढे पांच साल से उनके साथ ही रही हैं।
कुमारी शैलजा वर्ष 1991 में पहली बार 10वीं लोकसभा चुनाव में हरियाणा के सिरसा लोकसभा सीट से जीती और नरसिंहराव सरकार में शिक्षा और सांस्कृति राज्यजमंत्री बनी। जुलाई 1992 से सितंबर 1995 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत शिक्षा और संस्कृति विभाग की केंद्रीय उपमंत्री रही। सितंबर 1995 से मई 1996 तक उक्त विभाग की केंद्रीय राज्यमंत्री रहीं। 1996 में 11वीं लोकसभा में दूसरी बार सिरसा सीट से जीत दर्ज की और कांग्रेस संसदीय दल की कार्यकारी समिति की सदस्य बनीं।
1996 से 2004 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सचिव व प्रवक्ता पद का दायित्व संभाला। तीसरी बार 2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव में कुमारी शैलजा ने हरियाणा की अंबाला सीट का प्रतिनिधित्व किया और मनमोहन सरकार में आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय की राज्यनमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनी। 2009 में चौथी बार 15वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं।
31 मई 2009 से 18 जनवरी 2011 तक आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन और पर्यटन विभाग की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रही। 19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक आवास और शहरी गरीबी उपशमन और संस्कृति मंत्रालय की केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पद का दायित्व संभाला। 28 अक्टूबर 2012 से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप कार्य किया।
हरियाणा में जब कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं थी तो राज्यसभा चुनाव के लिए शैलजा सोनिया गांधी की पहली पसंद थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके समर्थकों ने न चाहते हुए भी शैलजा का समर्थन करके उन्हें राज्यसभा में भेजा। लंबे समय से कांग्रेस में जुड़े होने के चलते अब पार्टी ने उन्हें हरियाणा की कमान सौंप दी है।