scriptगुरु पूर्णिमा पर विशेष: लड्डूगोपाल जी और मीरा! | Guru Purnima Special: Laddu Gopal and Meera | Patrika News

गुरु पूर्णिमा पर विशेष: लड्डूगोपाल जी और मीरा!

locationगुडगाँवPublished: Jul 24, 2021 01:04:22 am

Submitted by:

satyendra porwal

तिजारा कस्बे में स्थित प्रेमपीठ बांके बिहारी मंदिर में होती है विशेष पूजागुरुग्राम. फिरोजपुर झिरका. हरियाणा-राजस्थान सीमा से लगते अलवर जिले के तिजारा कस्बे में स्थित प्रेमपीठ बांके बिहारी मंदिर में करीब 450 वर्ष पहले मेवाड़ की रानी मीरा बाई ने 43 दिन तक भगवान कृष्ण के नाम की दीक्षा ली थी। अपने साथ लाई भगवान लड्डू गोपाल जी की मूर्ति को गुरु पूर्णिमा के दिन यहीं छोड़कर गई थीं। मूर्ति की आज भी इस मंदिर में प्रतिदिन पूजा होती है।

गुरु पूर्णिमा पर विशेष: लड्डूगोपाल और मीरा!

गुरु पूर्णिमा पर विशेष: लड्डूगोपाल और मीरा!

भगवान कृष्ण के विराट रूप को कैसे जाना मीरा ने। पढि़ए…

तिजारा प्रेमपीठ पीठाधीश्वर ललित मोहन आचार्य ने बताया मीराबाई ने यहां स्वामी मथुरादास से दीक्षा ली थी। इस दौरान उन्होंने भगवान कृष्ण के विराट रूप को जाना था। गुरु पूर्णिमा के दिन मंदिर में लड्डूगोपाल जी की विशेष पूजा की जाती है। नारायण भट्ट चारिताभ्रतम द्वारा 300 वर्ष पहले लिखी 45 पेज की पुस्तक में इसका उल्लेख है। यहां बांके बिहारी एवं आदिराम भगवान की भी पूजा की जाती है।
मथुरादास के 22 वें वंशज हैं ललित मोहनाचार्य
भविष्य पुराण पुस्तक के अनुसार मीराबाई माधवाचार्य संप्रदाय की उपासक थी। बारहवीं शताब्दी में कर्नाटक के उडूपी में जन्मे माधोचार्य ने अद्वैतवाद सिद्धांत प्रतिपादित किया था। उन्होंने उडूपी में आठ एवं कर्नाटक में एक भक्तिपीठ की स्थापना की। इनकी पीढ़ी के नारायण भट्ट बाद में वृंदावन आए। मथुरादास इन्हीं के आठ शिष्यों में से प्रधान शिष्य थे। ललित मोहनाचार्य उन्हीं की पीढ़ी के 22 वें वंशज हैं।
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