गुडगाँव

मुख्यमंत्री 300 करोड़ से अधिक का घोटाला करने वालों को जांच करा कर जेल भेजें: राव इन्द्रजीत

अधिग्रहित जमीन पर लाईसेंस दिए जाने के विवाद ने तूल पकड लिया है…

गुडगाँवJan 15, 2019 / 08:17 pm

Prateek

Rao Inderjit file photo

गणेश सिंह चौहान की रिपोर्ट…

(गुरुग्राम): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार में हरियाणा से मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने अपनी भाजपा सरकार पर ही फिर से हमला बोला है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को दिल्ली के साथ लगते गुरूग्राम में किए गए लगभग 300 करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच करानी चाहिए, क्योंकि यह मामला गंभीर है। केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने राजस्थान पत्रिका से खास बातचीत में कहा कि 300 करोड़ के भूमि घोटाले का मामला मेरे सामने आया है लेकिन मैने इसकी जांच नहीं की। फिर भी यह मामला गंभीर है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और जांच करनी चाहिए तथा जो दोषी हो उन्हें जेल भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले को भाजपा के कुछ नेता भी उठा चुके हैं। मंत्री ने सवाल किया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की भूमि को सरकार किसी बिल्डर को कैसे दे सकती है। इसका जवाब सरकार को जनता को देना चाहिए।


वहीं दूसरी ओर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण जमीन पर बिल्डर को लाईसेंस देने का मामला अब दिल्ली मुख्यमंत्री के दरबार में भी पहुंच गया है और अब इस घोटाले को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावों में भुनाने की तैयारी में हैं। यहा तक कि गुरूग्राम के इस घोटाले का मामला लोकसभा में उठाने की तैयारी भी हो रही है।

 

यह हैं आरोप

दो बड़े नेताओं की सांठ-गांठ से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण एचएसवीपी की तीन दशक पहले अधिग्रहित जमीन पर बिल्डर को लाईसेंस जारी कर दिया गया। इस मामले में एचएसवीपी के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक सवाल उठाए गए। पूरे प्रकरण में 300 करोड से अधिक के घोटाले का आरोप है। डिप्टी मेयर के पति व भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री अनिल यादव भी इस घौटाले के लेकर पत्रकार वार्ता कर चुके हैं।

यह है पृष्ठभूमि

1977 से 1983 के बीच गुरूग्राम गांव की जमीन अधिग्रहित की गई। इस जमीन का तय मुआवजा व बाद में हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बढ़ा हुआ मुआवजा भी दे दिया गया, जिसके बाद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने इस जमीन को अपने कब्जे में लेकर सेक्टर 12 व 12 ए विकसित कर लोगों को प्लॉट अलॉट कर दिए। करीब साढ़े तीन एकड़ एचएसवीपी की मिलकियत वाली जमीन खाली पडी रही। आरोपों का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ। आरोप है कि भूमाफिया की नजर इस जमीन पर पडी तो सत्तासीन सरकार के एक मंत्री के साथ मिलीभगत कर पुराने मालिकों के मार्फत एचएसवीपी में मुआवजा राशि पुनः जमा करवा दी और कुछ अफसरों से मिलीभगत करके इस जमीन पर वर्ष 2015 में ग्रुप हाउसिंग का लाईसेंस जारी कर दिया गया।

 

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