त्रिपक्षीय है समझौता
इन उग्रवादियों ने 178 हथियार और विस्फोटक जमा कराएं हैं। गौरतलब है कि इससे पहले २३ जनवरी को भी आठ प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ कर शांति का दामन थामा था। सर्वानंद सरकार के शांति वार्ता के प्रयासों के तहत एनडीएएफबी ने हिंसक कार्रवाई छोड़ कर त्रिपक्षीय समझौता किया था। इस समझौते में सरकार की तरफ से मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके तहत तय किया गया था कि बोडोलैंड के विकास के लिए 1500 सौ करोड़ का पैकेज दिया जाएगा। सरकार ने उग्रवादी क्षेत्र में भी केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय लिया था।
हिंसक गतिविधि रोकेंगे
गौरतलब है कि जनवरी की शुरूआत में ही सरकार और प्रतिबंधित संगठन के बीच यह समझौता हुआ था। इसके तहत केंद्र सरकार, असम सरकार और एनडीएफबी सरगना बी साओराईगवरा समझौता वार्ता में शामिल हुए। जिसमें निर्णय लिया गया कि सभी उग्रवादी हिंसक गतिविधियां रोकेंगे और हथियार डालेंगे। सरकार की तरफ से समझौते में बोडोलैंड के विकास की योजना पेश की गई थी। जिसमें वित्तीय पैकेज के अलावा एक विश्वविद्यालय खोलना भी शामिल है।
केंद्र भी है शामिल
इससे पहले सरकार की तरफ से वित्तमंत्री हेमंत बिस्व सरमा और उल्फा आई उग्रवादी संगठन के लीडर परेश बरुआ की बातचीत हुई। ने उग्रवादी संगठन उल्फा-आई के लीडर परेश बरुआ को मंगलवार को बातचीत के लिए न्योता दिया था। शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार भी इस क्षेत्र में शांति और विकास चाहती है। केन्द्र सरकार यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) के साथ शांति वार्ता के लिए सहमत है। एक दिन पहले ही केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो संगठन के प्रतिनिधियों ने सोमवार को असम समझौते पर दस्तखत किए। असम और नॉर्थ ईस्ट में लंबे समय से हिंसक गतिविधियों में शामिल इस संगठन ने गणतंत्र दिवस के पर डिब्रूगढ़ में तीन जगहों पर धमाके किए थे। हालांकि, इनमें कोई हताहत नहीं हुआ। सीएम
पूर्व में हो चुके हैं दो समझौते
विगत 27 वर्षों में उग्रवादी संगठनों से सरकार का यह तीसरा समझौता है। पहला समझौता 1993 और दूसरा 2003 में हुआ था। दूसरे समझौते के तहत बोडोलैंड पार्टनरशिप परिषदï्-बीटीसी का गठन हुआ था। इसके तहत असम के चार जिले निचले असम में शामिल हैं। सरकार ने तीसरे समझौते के बाद आश्वासन दिया है कि बीटीसी क्षेत्र में रहने वाले गैर-बोडो लोगों के हितों में कोई अड़चन नहीं आएगी।
28 प्रतिशत हैं बोडो
गौरतलब है कि आजादी के बाद से ही असम समेत पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद केंद्र और राज्य सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। असम में उल्फा, एनडीएएफबी समेत 35 से ज्यादा उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं। 28 प्रतिशत आबादी वाले बोडो अपने को असम का मूल निवासी मानते हैं। असम और अरूणाचल से सटे हिस्से पर दावेदारी जताते हुए इसे बोडोलैंड घोषित करने का झंडा उठाए हुए हैं। इनका मामना है कि बाहरी लोगों के आने से उनके हितों पर प्रभाव पड़ा है। एनडीएएफबी का एक धड़ा अलग राज्य चाहता है ताकि आदिवासियों और मुस्लिमों से बोडो समुदाय के हितों की रक्षा की जा सके।