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भूसे के ढेर से बनाई गुडिय़ा, आमदनी भी हो रही बढिय़ा

locationगुवाहाटीPublished: Aug 11, 2019 12:13:01 am

Submitted by:

Nitin Bhal

कहते हैं कि जहां चाह वहां राह। मेहनत से इंसान मिट्टी को भी सोना बना सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है मणिपुर के सोंगसांग गांव में रहने नेली चच्चेया ने। नेली ने…

A girl from manipur prepare dolls from corn waste

भूसे के ढेर से बनाई गुडिय़ा, आमदनी भी हो रही बढिय़ा

इंफाल. कहते हैं कि जहां चाह वहां राह। मेहनत से इंसान मिट्टी को भी सोना बना सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है मणिपुर के सोंगसांग गांव में रहने नेली चच्चेया ने। नेली ने एक अनोखी कला विकसित की और फालतू समझी जाने वाली एक चीज को सोने में बदल दिया। नेली मक्का की भूसी का इस्तेमाल सुंदर गुडिय़ा बनाने में करती हैं। 38 साल की नेली ने 14 साल पहले गुडिय़ा बनाने का व्यवसाय शुरू किया था। उनके व्यवसाय को न केवल अपने राज्य में बल्कि पूरे पूर्वोत्तर और मुंबई सहित अन्य स्थानों पर भी बाजार मिला है। मुंबई में भी नेली द्वारा बनाई गई सुंदर गुडिय़ा खरीद सकते हैं। नेली प्रतिदिन लगभग 10-12 गुडिय़ा तैयार कर लेती हैं। गुडिय़ा बनाने में वह सिर्फ मक्का के भूसे का प्रयोग करती हैं। अपने उत्पादों से नेली हर महीने करीब 40 हजार रुपए तक की आमदनी कर लेती हैं।

मां से सीखा हुनर

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नेली का कहना है कि जब मैं छोटी थी तब मेरी मां ने मुझे ये गुडिय़ा बनाना सिखाया। लोग मक्का के छिलकों को इधर-उधर फेंक दिया करते थे। जिसे इक_ा कर वे गुडिय़ा बनाने लगीं। इससे एक ओर कचरा साफ भी हो जाता था और दूसरी ओर गुडिय़ा बनाने के लिए कच्चा माल भी मिल जाता था। 2002 में नेली ने अपने हुनर को पेशे के तौर पर अपनाया। इसके बाद 2005 में वर्कशॉप खोली गई। एक गुडिय़ा की कीमत 200-500 रुपए होती है।

फ्लोरिस्ट भी हैं नेली

A girl from manipur prepare dolls from corn waste
नेली एक फ्लोरिस्ट हैं और जो मणिपुर के माओ गेट मार्केट में सूखे फूलों के प्रोटक्ट बनाती हैं। मणिपुर के माओ गेट पर ‘आइडियास फ्लोरिस्ट’ के नाम से उनका एक स्टोर है। यहां नेली द्वारा बनाए गए सभी उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। अब नेली एक सफल उद्यमी हैं और गुडिय़ा बनाने और सूखे फूल बेचने के व्यवसाय से एक अच्छी आय कर रही हैं। नेली का कहना है कि अगर इंसान में किसी काम को करने का, दृढ़ निश्चय हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है।
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