मां से सीखा हुनर
Manipur prepare dolls from corn waste” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/08/10/neli1_4957287-m.jpg”>नेली का कहना है कि जब मैं छोटी थी तब मेरी मां ने मुझे ये गुडिय़ा बनाना सिखाया। लोग मक्का के छिलकों को इधर-उधर फेंक दिया करते थे। जिसे इक_ा कर वे गुडिय़ा बनाने लगीं। इससे एक ओर कचरा साफ भी हो जाता था और दूसरी ओर गुडिय़ा बनाने के लिए कच्चा माल भी मिल जाता था। 2002 में नेली ने अपने हुनर को पेशे के तौर पर अपनाया। इसके बाद 2005 में वर्कशॉप खोली गई। एक गुडिय़ा की कीमत 200-500 रुपए होती है।
फ्लोरिस्ट भी हैं नेली
नेली एक फ्लोरिस्ट हैं और जो मणिपुर के माओ गेट मार्केट में सूखे फूलों के प्रोटक्ट बनाती हैं। मणिपुर के माओ गेट पर ‘आइडियास फ्लोरिस्ट’ के नाम से उनका एक स्टोर है। यहां नेली द्वारा बनाए गए सभी उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। अब नेली एक सफल उद्यमी हैं और गुडिय़ा बनाने और सूखे फूल बेचने के व्यवसाय से एक अच्छी आय कर रही हैं। नेली का कहना है कि अगर इंसान में किसी काम को करने का, दृढ़ निश्चय हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है।