scriptकाजीरंगा में बाढ़ के पानी से मरना बनी वन्यजीवों की नियति, 66 मरे | Adversity of wildlife caused by flood waters in Kaziranga, 66 dead | Patrika News

काजीरंगा में बाढ़ के पानी से मरना बनी वन्यजीवों की नियति, 66 मरे

locationगुवाहाटीPublished: Jul 16, 2020 06:12:59 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

गुवाहाटी(असम:) (Assam News ) यूनस्को (UNESCO ) द्वारा विश्व प्रसिद्ध धरोहर घोषित किए गए असम काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park ) के वन्यजीवों के लिए बाढ़ काल साबित हो रही है। हर साल बाढ़ से वन्यजीवों का मरना (One horn rhino) नियति बन चुकी है। बाढ़ की विभीषिका ने इस साल भी पिछले साल की पुनरावृत्ति की है। पहले से ही खतरे की सूची में शामिल एकसींग वाले गेंडों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

काजीरंगा में बाढ़ के पानी से मरना बनी वन्यजीवों की नियति, 66 मरे

काजीरंगा में बाढ़ के पानी से मरना बनी वन्यजीवों की नियति, 66 मरे

गुवाहाटी(असम:) (Assam News ) यूनस्को (UNESCO ) द्वारा विश्व प्रसिद्ध धरोहर घोषित किए गए असम काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park ) के वन्यजीवों के लिए बाढ़ काल साबित हो रही है। हर साल बाढ़ से वन्यजीवों का मरना (One horn rhino) नियति बन चुकी है। बाढ़ से वन्यजीवों को बचाने के सारे सरकारी प्रयास विफल साबित हो चुके हैं। बाढ़ की विभीषिका ने इस साल भी पिछले साल की पुनरावृत्ति की है। पहले से ही खतरे की सूची में शामिल एकसींग वाले गेंडों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

80 फीसदी हिस्सा बाढ़ में

असम में इन दिनों जारी बाढ़ के प्रकोप से 66 जंगली जानवरों की मौत हो गई। काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क का 80 फीसदी हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इससे वहां संरक्षित वन्य प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट आ गया है। बाढ़ से राज्य के 30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ जनित हादसों और भूस्खलन की घटनाओं में अब तक 85 लोगों की मौत हो चुकी है।

25 जिले बाढ़ की चपेट में
असम में 25 से ज्यादा जिले बाढ़ की चपेट में हैं। 30 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो गए हैं। टीमें भी लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। कुछ जिलों में कुल 9 मौतें हुई है। असम के होजई, धेमाजी, लखीमपुर, विश्वनाथ, सोनितपुर, उदालगुड़ी, दरांग, बक्सा, नलबाड़ी, बारपेटा, चिरांग, बोंगाईगांव, कोकराझार, धुबरी, दक्षिण सालमाड़ा, गोलपाड़ा, कामरूप, मोरीगांव, कामरूप महानगर आदि में पानी घुस गया है।

66 जंगली जानवरों की मौत
काजीरंगा पार्क के निदेशक, पी शिवकुमार ने कहा, ‘अब तक, 66 जानवरों की मौत हो चुकी है और 170 जानवरों को अब तक बचाया गया है। बाढ़ जैसी स्थिति में जानवरों के लिए बहुत भारी संकट पैदा हो जाता है। जानवरों के लिए भी कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल असम में हालात को ठीक होने में समय लगेगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों बाढ़ प्रभावित वन्य इलाके से एक बाघ के भागने की खबर आई थी जो कि बकरियों के बाड़े में छिप गया था और रात भर उसने बकरियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था। बाढ़ के पानी से बचने के लिए बाघ और एकसींग वाला गेंडे जंगल छोड़ कर आस-पास के गांवों में चले गए हैं। बाढ़ के हालात के चलते काजीरंगा में यातायात रोक दिया गया है।

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