नशाखोरी के खिलाफ रणनीति जरूरी
मिज़ोरम को बढ़ रहे नशीले पदार्थों के ख़तरे से निपटने के लिए रणनीति जरूरी है। चर्च और सामाजिक संगठन युवाओं में नैतिक और सामाजिक शिक्षा और मूल्यों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में राज्य सरकार और नागरिक समाज संगठनों के व्यापक प्रयास करने के बावजूद राज्य नशाखोरी की समस्या खासकर युवा वर्ग जकड़ा हुआ हैं। राज्य और पूर्वोत्तर क्षेत्र के मीडिया में नशाखोरी की ख़बरें सामान्य बात हैं। मिज़ोरम की स्थिति बांग्लादेश और म्यांमार के बीच एक सेंडविच जैसी हैं। राज्य की लगभग 820 किलोमीटर की सीमा दोनों देशों के साथ लगती हैं। साउथ-ईस्ट एशियन देशों- आसियान में तस्करी के लिए कुख्यात स्वर्ण त्रिकोण क्षेत्र (म्यांमार, थायलैंड और लाओस) को देखते हुये मिज़ोरम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र काफी संवेदनशील हैं क्योंकि म्यांमार के साथ पूर्वोत्तर राज्य भौगोलिक और सामाजिक समीपता रखते हैं।