scriptशैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल होगा नशा विरोधी विषय | Anti-drug subjects will be included in the academic curriculum | Patrika News

शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल होगा नशा विरोधी विषय

locationगुवाहाटीPublished: Nov 16, 2019 12:14:22 am

Submitted by:

arun Kumar

Anti-drug subjects: सामाजिक विकास के कई पैमानों में मिज़ोरम (Mizoram) देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता हैं लेकिंग राज्य के युवाओं में नशाखोरी से एचआईवी और एड्स (HIV/Aids) जैसी बीमारियां घर करती जा रही है। इन समस्याओं को समाज और सरकार बड़ी चुनौती के रूप में देख रही हैं।

शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल होगा नशा विरोधी विषय

शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल होगा नशा विरोधी विषय

युवा नशे की चपेट में आकर एचआईवी और एड्स का हो रहे शिकार

सुवालाल जांगु. आइजोल

सामाजिक विकास के कई पैमानों में मिज़ोरम देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता हैं लेकिंग राज्य के युवाओं में नशाखोरी से एचआईवी और एड्स जैसी बीमारियां घर करती जा रही है। इन समस्याओं को समाज और सरकार बड़ी चुनौती के रूप में देख रही हैं। अक्सर युवाओं में इनके बारे में जानकारी की कमी रहती हैं। शिक्षा के माध्यम से युवाओं में इन समस्याओं के बारे जागरूकता बढ़ायी जा सकती हैं। मिज़ोरम सरकार नशाखोरी और इसके रोकथाम को स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार कर रही हैं। नशीले पदार्थों से ख़तरा और इनके दुष्प्रभाव के बारे में युवाओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्राथमिक स्तर से लेकर स्नातक स्तर पर एक विषय के तौर पर पढ़ाने पर विचार किया जा रहा हैं। समाज कल्याण विभाग के अधीन समाज रक्षा और पुन:स्थापन बोर्ड इसका पाठ्यक्रम तैयार कर रही जो लगभग पूरा होने को हैं। पाठ्यक्रम अगले साल नए शैक्षणिक सत्र से शुरू किया जायेगा। शिक्षा विभाग पहले ही इस पाठ्यक्रम को मंजूरी दे दी हैं। और जल्द ही इसे केबिनेट बैठक में रखा जायेगा।

नशाखोरी के खिलाफ रणनीति जरूरी

मिज़ोरम को बढ़ रहे नशीले पदार्थों के ख़तरे से निपटने के लिए रणनीति जरूरी है। चर्च और सामाजिक संगठन युवाओं में नैतिक और सामाजिक शिक्षा और मूल्यों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में राज्य सरकार और नागरिक समाज संगठनों के व्यापक प्रयास करने के बावजूद राज्य नशाखोरी की समस्या खासकर युवा वर्ग जकड़ा हुआ हैं। राज्य और पूर्वोत्तर क्षेत्र के मीडिया में नशाखोरी की ख़बरें सामान्य बात हैं। मिज़ोरम की स्थिति बांग्लादेश और म्यांमार के बीच एक सेंडविच जैसी हैं। राज्य की लगभग 820 किलोमीटर की सीमा दोनों देशों के साथ लगती हैं। साउथ-ईस्ट एशियन देशों- आसियान में तस्करी के लिए कुख्यात स्वर्ण त्रिकोण क्षेत्र (म्यांमार, थायलैंड और लाओस) को देखते हुये मिज़ोरम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र काफी संवेदनशील हैं क्योंकि म्यांमार के साथ पूर्वोत्तर राज्य भौगोलिक और सामाजिक समीपता रखते हैं।

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