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आइजोल में पुरातत्वविदों को मिली बड़ी सफलता,खोज में मिलीं पुरातन समय की दो खोपड़ियां और जांघ की हड्डियां

locationगुवाहाटीPublished: Feb 28, 2019 09:17:41 pm

बीएसआई और एएसआई के विशेषज्ञों ने बताया कि यह ख़ोज बीसी या मेगालिथिक युग से जुड़ी हो सकती है…
 

skulls and thigh bones in aizawl

skulls and thigh bones in aizawl

(आइज़ोल,सुवालाल जांगू):शहर से 20 किलोमीटर दूर मुयाल्लुंग्थु गांव में एक निर्माणाधीन जगह पर खुदाई के दौरान जमीन में 10 फीट नीचे एक मिट्टी के बर्तन जैसी चीज मे दफनाई गई दो खोपड़िया और जांघ की हड्डी के टुकड़े मिले हैं। इस ख़ोज ने भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण और लखनऊ स्थित बीरबल साहनी संस्थान के विशेषज्ञों को अचंभे मे डाल दिया है। खोपड़ियों और हड्डियों को देखकर ऐसा लगता है कि यह ख़ोज एक विधि का उदाहरण हैं जिसके अंतर्गत बर्तन में शव या शवों को रखकर दफनाया जाता था। केंद्रीय विज्ञान और तकनीकी विभाग मंत्रालय के अधीन स्वायत संस्थान बीरबल साहनी वनस्पति संस्थान और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मिलकर इस ख़ोज में मिली हड्डियों की जांच करेंगे।

 

बीसी या मेगालिथिक युग की हो सकती हैं हड्डियां

बीएसआई और एएसआई के विशेषज्ञों ने बताया कि यह ख़ोज बीसी या मेगालिथिक युग से जुड़ी हो सकती है। बीएसआई मे प्राचीन डीएनए और जिनैटिक विषय के विशेषज्ञ नीरज राय ने बताया कि इन हड्डियों कि डीएनए और कार्बन समयांकन करने के बाद ही इस ख़ोज के समय की सटीक जानकारी सामने आएगी। हो सकता हैं ये ख़ोज 6 वीं शताब्दी की भी हो ,जैसा की मिट्टी के बड़े बर्तन में शवों को रखकर दफनाने की विधि मेगालिथिक के समय में सामान्य तौर पर प्रचलित थी। कहा जाता हैं कि मेगालिथिक का युग 400 वीं शताब्दी मे खत्म होता है। बर्तन सहित ये हड्डियां जमीन में 10 फीट गहराई में मिली हैं और बर्तन की मिट्टी का संघटन काफी पुराना हैं जिस तरह बर्तन पर प्राकृतिक तरीके से 10 फीट मिट्टी का जमाव हुआ है, उसके हिसाब से तो यह ख़ोज 600 वीं बीसी की हो सकती है।

 

यह ख़ोज दफनाने की प्राचीन विधि का एक उदाहरण है

दुनिया की विभिन्न जगहों में दफनाने की यह एक सामान्य विधि रही है, जैसे कि बर्तन में शव रखकर दफनाने की विधि जापान, मिस्र, इंडिया, कंबोडिया, सीरिया इत्यादि प्राचीन सभ्यताओं में मौजूद होने के उदाहरण मिले हैं।

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