उपस्थित नहीं रहने पर अधिकारियों पर गिर सकती है गाज
सरकार ने सभी जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि पंचायत स्तर तक सभी कर्मचारियों की उपस्थित बाध्यतामूलक है। बंद के दौरान जो भी अधिकारी-कर्मचारी अनुपस्थित रहेगा उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। व्यापारिक संस्थान बंद करने से ट्रेड लाइसेंस रद्द करने की बात कही गई है। आम जनता की सुरक्षा के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम करने की बात कही गई है। बंद समर्थकों को तुरंत गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया है।
उधर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति ने अब तक अपनी अंतिम रिपोर्ट नहीं दी है। इसलिए विधेयक को लेकर बंद का आयोजन निरर्थक है। 17 नवंबर को बंगाली संगठनों ने विधेयक के समर्थन में जिस सभा का आयोजन किया है उसका भी भाजपा विरोध कर रही है। नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर राज्य में विरोध के स्वर फिर एक बार मुखर हो रहे हैं। अगप का प्रतिनिधिमंडल कल मेरठ में संयुक्त संसदीय समिति से मिला और इस विधेयक के खिलाफ रिपोर्ट देने का अनुरोध किया।
मालूम हो कि समिति अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली है। इससे पहले वह 23अक्तूबर को केंद्र व राज्य सरकार के विचार जाननेवाली है।समिति ने रिपोर्ट देने के पहले वापस असम आने की बात कही थी। लेकिन वह नहीं आई। इन सब के खिलाफ ही राज्य के 60 संगठनों ने 12 घंटे के असम बंद का आह्वान किया है।