हम नहीं भीष्म पितामह
उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में अगप से मित्रता कुछ विशेष कारणों से नहीं हो पाई। प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अगप प्रत्यक्ष हमला कर रहा है। एक संवाददाता सम्मेलन में अगप पर आक्रामक नजर आ रहे डा.शर्मा ने कहा कि गठबंधन की मित्रता की सीमाएं होनी चाहिए। कोई हमें मारने की कोशिश करेगा, वह तो हम बरदाश्त नहीं करेंगे। हम भीष्म पितामह जैसे तो नहीं हैं।
अगप ने तोडी मित्रता नीति,चाहे तो हो सकती है अलग
उन्होंने संकेत दिए कि अगप मित्रता से अलग होना चाहे तो हो सकती है। हम भी अगप के फैसले को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। अगप ने मित्रता की नीति को तोड़ा है। अगप के मंत्री अतुल बोरा और केशव महंत की दोमुंही नीति है। प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक पर अगप के विरोध पर डा.शर्मा ने कहा कि विधेयक का विरोध करने का अगप को कोई नैतिक अधिकार नहीं है। असम समझौते के दौरान तत्तकालीन आसू नेतृत्व ने विदेशियों को खदेड़ने का आधार वर्ष 1951 के बजाए 1971 किया था। यही नेतृत्व अगप का नेतृत्व बना। विधेयक के लिए अगप भाजपा पर जिम्मेदारी थोपना चाहता है, तो भाजपा इसके लिए तैयार है। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह विधेयक पारित होने से 1.50 करोड़ लोग बांग्लादेश से आएंगे, इसका आधार क्या है? संख्या कहां से आई, जबकि विधेयक पारित ही नहीं हुआ है। उल्फा में युवक-युवतियों को शामिल होने के लिए कुछ लोग उकसा रहे हैं। उल्फा को अब नायक बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उल्फा स्वाधीन प्रमुख परेश बरुवा मुख्यधारा में लौट आएं, तो भाजपा इस विधेयक को छोड़ सकती है। उन्होंने कहा कि सोमवार से मुख्यमंत्री समेत भाजपा के शीर्ष नेता पंचायत चुनाव में प्रचार के लिए उतरेंगे। पंचायत चुनाव में भाजपा के 157 उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं।