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मोहन और किशन दोनों ने स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। इसके साथ ही मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल में 18 मंत्री हो गए हैं। इनमें भाजपा से 12 और गठबंधन की सहयोगी पार्टियों असम गण परिषद (अगप) और बोड़ो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) से तीन-तीन मंत्री हैं। नए मंत्रियों के विभागों की घोषणा की जानी अभी बाकी है। किशन और मोहन दोनों पहली बार के विधायक निर्वाचित हुए हैं। वे क्रमश तिनसुकिया और माहमरा विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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किशन ने शपथ ग्रहण के बाद संवाददाताओं से कहा कि वह उन्हें जिम्मेदारी सौंपने के लिए मुख्यमंत्री के आभारी हैं। उन्होंने कहा कि मैं राज्य के सभी समुदायों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा और असम को मजबूत बनाने और इसे वैश्विक मंच पर ले जाने में मुख्यमंत्री की मदद करूंगा। मोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें मंत्री के रूप में नियुक्त करके उन पर जो विश्वास जताया है, उसके लिए वह उनके आभारी हैं। मोहन ने कहा कि जो मंत्रालय मुझे आवंटित किया जाएगा, मैं उसके कर्तव्यों को पूरा करने की कोशिश करूंगा और यह सुनिश्चित करेंगे कि शुरू की गयी योजनाओं से राज्य के सभी समुदाय लाभान्वित हों।
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किशन चाय की खेती करने वाले जनजाति समुदाय से आते हैं, जबकि मोहन आहोम समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्होंने चाय की खेती करने वाले समुदाय के पल्लब लोचन दास और आहोम समुदाय के तपन गोगोई की जगह ली है, जो क्रमश तेजपुर और जोरहाट संसदीय क्षेत्रों से लोकसभा के लिए चुने गये हैं। शपथ ग्रहण समारोह का संचालन राज्य के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने किया।
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इस अवसर पर मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, वित्त और स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विश्व शर्मा, संसदीय कार्य मंत्री चंद्र मोहन पटवारी, संस्कृति मंत्री नव कुमार दलै, भाजपा अध्यक्ष रंजीत दास और सांसद क्वीन ओझा और कामख्या प्रसाद तासा समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उधर कई विधायक इस मंत्रिमंडल विस्तार से नाखुश दिखे। भाजपा विधायक नोमल मोमिन ने कहा कि उन्हें निमंत्रण पत्र ही नहीं मिला। वे जाने को इच्छुक थे। लेकिन उन्हें निमंत्रण पत्र नहीं मिलने से नहीं गये। लगभग 35 भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर विधायक दल की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। भाजपा विधायक विमल बोरा ने इस बात की पुष्टि की।
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नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के चलते इन विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्रों में विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए वे इस पर चर्चा के लिए विधायक दल की बैठक बुलाने का अनुरोध कर रहे हैं। कई मंत्रियों के कामकाज से भी ये विधायक नाखुश बताये गये हैं।