नई दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में रामभाऊ महलगी प्रबोधनी द्वारा एनआरसी पर आयोजित सेमिनार में हिस्सा लेते हुए सोनोवाल ने कहा कि राज्य में बड़े स्तर पर हुए प्रवर्जन के चलते असमिया समुदाय के सामने अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया। 1901 से लेकर 1971 तक 70 साल के दौरान असम की जनसंख्या 32.90 लाख से बढ़कर 146 लाख हो गई। यह बढ़ोत्तरी 343.77 प्रतिशत है, जबकि इस दौरान भारत में जनसंख्या बढ़ोत्तरी सिर्फ 150 प्रतिशत हुई। इससे साफ होता है कि अवैध प्रवर्जन बड़े स्तर पर हुआ।
सोनोवाल ने कहा कि एनआरसी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे भारतीय नागरिकों और विदेशियों में एक सीमा-रेखा खींची जा सकती है। मुख्यमंत्री ने देश में कड़ी अप्रवासी नीति की वकालत की। साथ ही देश भर में हुए भारी अवैध प्रवर्जन की समस्या के हल के लिए एनआरसी की अद्यतन प्रक्रिया को अपनाने को कहा। उन्होंने कहा कि देश में बिना रोकटोक घुसपैठ को जारी रहने नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इससे सामाजिक ताना-बाना और देश की भौगोलिक अखंडता के सामने गंभीर परिणाम हो सकते हैं। असम में चल रही एनआरसी की अद्यतन प्रक्रिया देश में लागू करने के लिए एक मॉडल बन सकती है। उन्होंने कहा कि एनआरसी का प्रारूप एक कानूनी प्रक्रिया के जरिये सामने आया है। राज्य और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निदेर्शों के तहत ही संवैधानिक जिम्मेदारी निभा रही है।
उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा स्मार्ट फेंसिंग के जरिये सील की जा रही है। सीमा सील होते ही अवैध घुसपैठ की समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि देश के कुल घुसपैठियों में से असम में कुछ ही हिस्सा है। जनगणना के आंकड़े देश के कई राज्यों में राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा हैं। यह आंकड़े ही देश में अवैध घुसपैठ की गंभीरता को दर्शाते हैं।