अगप के विधायक रमेंद्र नारायण कलिता ने कहा कि मुख्यमंत्री और वनमंत्री के आश्वासन के छह महीने बाद भी दीपर बिल ऑथरिटी का गठन नहीं हुआ। इसे शहर के एक रिजर्वर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रवासी पक्षियों की आने की संख्या कम हो गई है। इस पर मंत्री ने आश्वासन दिया कि जल्द ही इसका गठन किया जाएगा।
पूरे मामले में हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी ने कहा कि पहले इलाका 40 वर्ग किमी था। अब यह सिमट कर 4 वर्ग किमी रह गया है। इसे पर्यटन का आकर्षण केंद्र होना था, लेकिन बीच से रेलवे और राजमार्ग के गुजरने से स्थिति खराब हुई है। शायद अतिक्रमण को वैध रूप दे दिया गया है। प्रभावशाली लोगों ने कब्जा किया है, तो निचले स्तर के लोग तो करेंगे ही। मणिपुर की लोकतक झील आकर्षण का केंद्र हो सकती है, तो दीपर बिल क्यों नहीं। दीपर बिल की रक्षा की जानी चाहिए। भाजपा के विधायक प्रशांत फुकन ने कहा कि इसमें नौका विहार का इंतजाम करना पड़ेगा। पर्यटन विभाग को नोडल एजेंसी बना दिया जाना चाहिए। मालूम हो कि दीपर बिल गुवाहाटी में ही है और यह आकर्षण का केंद्र है, लेकिन अतिक्रमण और शहर का डंपिग ग्राउंड होने के चलते प्रदूषण बढ़ा है।