सरकार का काम नहीं धार्मिक शिक्षा देना
डा.शर्मा के बयान के बाद संस्कृत टोल के शिक्षक हैरान हैं। असम माध्यिमक शिक्षा परिषद(सेबा) के पाठ्यक्रम के अनुसार ही वहां पढ़ाई होती है। मंत्री डा.शर्मा ने कहा कि किसी की इच्छा है तो वे निजी स्तर पर वे इनकी पढाई कर सकते हैं। देश के सरकारी राजस्व से इस तरह की पढाई जारी रखने से गीता समेत अन्य धार्मिक शिक्षा के लिए भी सहयोग देना पड़ेगा। सरकारी खर्च पर कुरान पढ़ाने से गीता भी पढाने देना होगा। मंत्री ने यहां तक कह दिया कि अरबी स्कूल में धार्मिक पाठ पढ़ा रहे शिक्षकों को सेवानिवृत होने तक घर बैठे ही वेतन मिलता रहेगा।
सरकार कर रही है राजनीति
उन्होंने कहा कि निजी स्तर पर जो मदरसे चल रहे हैं उनको बंद नहीं किया जाएगा। राज्य में एआईयूडीएफ के महासचिव आमिनुल इस्लाम ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म निरपेक्षता का चोला ओढऩे के लिए वे मदरसों के साथ ही संस्कृत विद्यालयों को बंद करने की बात कर रहे हैं। संस्कृत सबसे पुरानी भाषा है। विश्व की सबसे पुरानी भाषा के रुप में संस्कृत जानी जाती है। इसलिए हम संस्कृत विद्यालय बंद करने के पक्ष में नहीं है। भाजपानीत सरकार इन्हें बंद कर मतलब की राजनीति करना चाह रही है। संस्कृत टोल बंद करने की व्यापक प्रतिक्रिया सत्र नगरी माजुली में भी हुई है। संस्कृत पंडित तथा सत्राधिकार डा.नारायण चंद्र गोस्वामी ने कहा कि यह देश और जाति के लिए खतरनाक संकेत है।