बाढ़ ( Flood ) की त्रासदी झेल रहे पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य पर अब जापानी एंसेफ्लिटिस भी कहर बनकर टूट रहा है। जापानी एंसेफ्लिटिस की वजह से राज्य के गोलपाड़ा में हाल ही में एक और मौत हो गई। दूसरी मौत धुबरी तथा तीसरी मौत बरपेटा में हुई है। इन तीनों लोगों की मौत जापानी एंसेफ्लिटिस का अलग—अलग अस्पतालों में इलाज करवाने के दौरान हुई है। इससे पहले 21 जुलाई को गोलपाड़ा और बोंगइगांव में दो मौतें हुई थी।
असम में इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप के चलते स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने सभी डॉक्टरों, आशा वर्करों तथा नर्सिंग स्टाफ की छुट्टियों पर सितंबर माह तक रोक लगा दी है। इसके अलावा ये सभी लोग इस दौरान 15 दिन की केजुअल लीव भी नहीं ले सकेंगे। यदि किसी डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ ने इस दौरान जबरदस्ती छुट्टी ली तो उसके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। हालांकि इमरजेंसी हालातों में छुट्टी की आवश्यकता हो तो उसके लिए जिले के डिप्टी कमिश्नर से अनुमति लेनी होगी।
गौरतलब है कि चावलों के खेतों में पनपने वाले मच्छरों से जापानी एनसिफेलिटिस रोग होता है। जापानी एनसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से और जंगली पक्षियों में वायरस चला जाता है। इसके बाद संक्रांत मच्छर के काटने पर मानव और जानवरों में यह वायरस फैल जाता है। जापानी एनसेफेलिटिस वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। केवल पालतू और जंगली पक्षी ही जापानी एनसेफेलिटिस वायरस फैला सकते हैं।