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डॉ.शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार भी उल्फा-आई के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार है। बोडो संगठन के प्रतिनिधियों ने सोमवार को बोड़ो समझौते पर दस्तखत किए थे। इसके तहत अब असम से अलग बोडोलैंड राज्य बनाने की मांग खत्म होगी। बोडो उग्रवादियों के सरकार से समझौते के बाद उल्फा-आई संगठन के प्रमुख परेश बरुवा ने कहा था कि इससे आने वाले समय में असम में शांति स्थापित होगी। खासकर बोडोलैंड के क्षेत्र में। बरुवा ने एक चैनल से बातचीत में समझौते का स्वागत करते हुए कहा था कि राज्य में इसे लेकर कोई अलग विचार नहीं है। बोडो लोग अपने अधिकारों को लेकर दशकों से लड़ रहे हैं। हम अपनी जमीन पर एकता के साथ रहेंगे। बरुवा के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि वे भी केंद्र सरकार की तरफ की से शांति समझौते की पहल पर विचार कर सकते हैं। उल्फा का एक धड़ा अरविंद राजखोवा के नेतृत्व में सरकार से बातचीत कर रहा है।
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डॉ.शर्मा ने कहा कि सबको एक साथ लेकर समझौता किया जाएगा। अलग-अलग समझौता नहीं हो सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि अप्रेल में होने वाले बिहू के दौरान हमें अच्छी खबर मिलेगी। डॉ. शर्मा ने कहा कि मैं बोड़ो समझौते के बाद असम के उल्फा-आई और मणिपुर के उग्रवादियों से अपील करता हूं कि वे भी शांति के लिए हिंसा का रास्ता छोड़ बातचीत के लिए आगे आए। शांति से ही इलाके में विकास संभव है।
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बोड़ो नेताओं का हुआ स्वागत…
उधर बोड़ो समझौता कर लौटे बोड़ो नेताओं का व्यापक स्वागत हुआ। काजलगांव में एक विशाल रैली आयोजित की गई। 30 जनवरी को समझौता करनेवाले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड (एनडीएफबी) के चार गुटों के लगभग 1500 सदस्य गुवाहाटी में हथियार डालेंगे।