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बुधवार को बीपीएफ के प्रमुख हग्रामा महिलारी ने अब्सू पर हमला करते हुए कहा कि समझौते में अब्सू का कोई योगदान नहीं था। वह ऐसे ही क्रेडिट लेना चाहते है। उसने तो अलग बोड़ोलैंड राज्य की मांग को छोडक़र ही समझौते पर हस्ताक्षर किया है। अब्सू अध्यक्ष प्रमोद बोड़ो ने हग्रामा पर पलटवार करते हुए कहा कि पिछले पंद्रह सालों में बीटीसी की सत्ता में रहते हुए हग्रामा ने बीटीसी का विकास करने के बजाए अपनी संपत्तियां ही बढाई है। बीटीसी समझौते के बाद बोड़ो टेरोटेरियल रीजन(बीटीआर) हो गया है। यहां के परिषद की सीटें तीस से बढ़ाकर 60 होंगी और चुनाव होंगे।
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इधर समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड(एनडीएफबी) के चार गुटों में से एक गुट के नेता धीरेन बोड़ो ने कहा है कि राजनीति पार्टी में जाने के बारे में सोचा जा रहा है। इसके बाद समझौते को लागू करने में सहूलियत होगी।वहीं एनडीएफबी के नेता बी फेरंगाव ने कहा कि यदि समझौते में कही गई बातें लागू नहीं हुई तो हम फिर संग्राम की ओर लौटेंगे। इस तरह अब समझौते के बाद बोड़ो इलाके में राजनीति गरमा गई है जिससे माहौल बिगडऩे की आशंका जताई जा रही है।
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बता दें कि बोड़ो समझौता होने के बाद सभी ने खुशी जाहिर की थी, बोड़ो इलाकों में 28 जनवरी को जश्न भी मना। खुशी के बाद उठे तकरार के सुरों के बीच एनडीएफबी के चार गुटों के लगभग 1500 सदस्य गुरुवार को गुवाहाटी में मुख्यमंत्री के समक्ष हथियार डालेंगे।