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ब्रू-विस्थापितों को त्रिपुरा में बसाने के विरोध में उतरा बंगाली समुदाय

locationगुवाहाटीPublished: Jan 27, 2020 09:23:55 pm

Submitted by:

Prateek

Assam News: बंगाली (Tripura Bengali Community) विस्थापित जन फॉरम ने ब्रू-शरणार्थियों (Bru Refugees Tripura) को वापिस मिज़ोरम भेजने की मांग नहीं मानने पर अनिश्चित काल के लिए विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी हैं…

Bru Refugees

Bru Refugees File Photo

(अगरतला,सुवालाल जांगु): त्रिपुरा में बंगाली समुदाय ब्रू-विस्थापितों को राज्य में बतौर स्थायी निवासी बसाने के विरोध में उतर गया है। समुदाय के नेता विस्थापितों को वापस मिज़ोरम भेजने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना हैं कि इन्हें राज्य में बसाने से पूर्वोत्तर में सांप्रदायिक उत्पीड़न को बढ़ावा मिलेगा। हाल ही में राज्य में ब्रू-विस्थापितों को स्थायी बसाने के लिए नई दिल्ली में एक चार-पक्षीय समझौता हुआ था।

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क्यों बसाया जा रहा है—चैटर्जी…

बंगाली विस्थापीत मंच के नेता चैटर्जी ने उत्तरी त्रिपुरा जिले के कंचनपुर उपखंड कस्बे में एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रू-विस्थापितों को राज्य बसाने का विरोध किया जाना चाहिए। ब्रू शरणार्थी मिज़ोरम के स्थायी निवासी हैं अगर उनको वापिस मिज़ोरम में बसाया जा सकता हैं तो फिर यहां क्यों बसाया जा रहा है। अब राज्य में ब्रू-शरणार्थियों को स्थायी रूप से बसाने के लिए पहले से बसे हुए बंगाली समुदाय को विस्थापित किया जाएगा। जो लोग पहले से ही अपनी जमीन पर स्थायी रह रहे हैं अब उन्हें अपनी स्थायी जमीन को खालीकर पास ही पुलिस कैंप में रहना पड़ेगा। राज्य सरकार ने अभी तक बंगाली विस्थापित परिवारों के लिए कोई पुर्नावास पैकेज की घोषणा नहीं की गई हैं। ब्रू-विस्थापितों को बसाने के लिए एक बंगाली परिवार को महज़ 5 हजार से 10 हजार की सहायता दी जा रही हैं। केंद्र सरकार के द्वारा ब्रू-शरणार्थियों को वापस मिज़ोरम भेजने की बजाय त्रिपुरा में उन्हें स्थायी बसाने के लिए उच्च स्तरीय आर्थिक पैकेज दिया जा रहा हैं। राज्य सरकार को भी बंगाली विस्थापितों को ऐसा ही आर्थिक पैकेज देने के लिए केंद्र सरकार से समझौता करना चाहिए।

 

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ठहराया राजनीतिक कदम, की बंद की घोषणा…

चैटर्जी ने यह भी कहा कि त्रिपुरा में एडीसी के चुनाव पास में आते देख अनुसूचित जनजाति समुदाय के एकमुश्त वोट पाने के लिए इस प्रकार का राजनीतिक कदम लिया उठाया गया है। राज्य के कंचनपुर उपखंड में कई हजार ब्रू परिवारों को बसाने के लिए 6 हजार बंगाली मूलनिवासियों को विस्थापित किया जा रहा हैं। बंगाली विस्थापित जन फॉरम ने ब्रू-शरणार्थियों को वापिस मिज़ोरम भेजने की मांग नहीं मानने पर अनिश्चित काल के लिए विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी हैं। इसके अलावा विरोधी बंगाली समुदाय ने राज्य में त्रिपुरा ट्राइबल औटोनोमुस काउंसिल-टीटीएडीसी के आगामी चुनाव का बहिष्कार करने की भी घोषणा की है।

 

बंगाली समुदाय के विस्थापन की जताई आशंका…

बंगाली समुदाय ने चार पक्षीय ब्रू समझौते के बाद नागरिक सुरक्षा मंच–एनएसएम के नाम से एक राजनीतिक संगठन बनाया हैं। इस राजनीतिक संगठन के अध्यक्ष रंजीत नाथ ने बताया कि ब्रू-शरणार्थियों के द्वारा कंचनपुरा के विभिन्न स्थानों– नैसिंगपारा और आनंदबाजर में हिंसा करने से कई बंगाली समुदाय के परिवारों को मजबूरन अपनी पैतृक संपत्ति को छोडकर जाना पड़ा हैं। दिसम्बर महीने में ब्रू-शरणार्थियों कि जाइंट मूवमेंट कमेटी के द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान की गई हिंसा के चलते 92 बंगाली परिवारों को अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ा हैं। पिछले एक साल के दौरान कुल 6 हजार परिवार विस्थापित हुए हैं जो एक साल से इस पुलिस कैंप में रह रहे हैं। कंचनपुर उपखंड में ब्रू-शरणार्थियों को बसाने से क्षेत्र में जनसांख्यिकीय संतुलन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता हैं। यह शुद्ध रूप से एक वोट बैंक राजनीति का उदाहरण हैं।


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मिजोरम की समस्या का हल वहीं हो—चैटर्जी…

चैटर्जी का यह भी कहना है कि ब्रू-शरणार्थी समस्या मिज़ोरम की हैं। जिसका समाधान वहीं होना चाहिए। बंगाली समुदाय के असंतुष्ट नेताओं ने आरोप अलगाया कि सरकार 35 हजार ब्रू-शरणार्थियों को बसाने के लिए पहले से ही स्थाई बसे हुए 35 हजार लोगों को बेघर कर रही हैं। जिससे राज्य में एक और नई समस्या पैदा हो रही हैं। इनका कहना है कि समस्या का सही समाधान तो ब्रू-शरणार्थियों को वापिस मिज़ोरम भेजने से ही होगा।

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