मालूम हो कि असम में नागरिकता संशोधन का विरोध हुआ था। डा.शर्मा ने कहा कि जो सरकार जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को बेअसर कर सकती है, तीन तलाक जैसे विधेयक को पारित कराने का कठोर फैसला कर सकती है उसके लिए नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कराना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराने के बाद ही पूरे देश में एनआरसी लागू की जाएगी।
राज्य की अंतिम एनआरसी को भेदभावपूर्ण बताते हुए डा.शर्मा ने कहा कि यह असमिया जाति का दस्तावेज नहीं हो सकता। जिनका नाम एनआरसी में आया है उन्हें ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं है। जिनका नाम नहीं आया है उन्हें भी चिंतित होने की जरुरत नहीं।
मंत्री ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद ही डिटेंशन कैंप की जरुरत पड़ेगी। हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए पुर्नवास करने के बाद ही बाकी को डिटेंशन कैंप में डाला जाएगा। उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि भाजपा नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर टकराव नहीं चाहती। जिन राज्यों मे छठा अनुच्छेद लागू हो उन राज्यों में विधेयक के लागू न होने से विवाद की जरुरत नहीं है।
डा.शर्मा ने कहा कि भाषा को लेकर राष्ट्रीय एकता संभव नहीं हो सकती। यह संकीर्ण विचारधारा है। नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के अटल रहने की बात कहते हुए मंत्री ने कहा कि 31 दिसंबर 2014 तक जो भारत आए हैं उनके लिए यह विधेयक है। इसके बाद आने वालों के लिए नहीं है। यह विधेयक पारित होने से हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी धर्म के लोगों को राहत मिलेगी। बाकी बचे जिन लोगों को बांग्लादेश नहीं लेगा वे भी यहीं रहेंगे।