टकराव कम करने को कमेटी का गठन
उन्होंने ने बताया कि मनुष्य के टकराव को कम करने के लिए राजस्व,पुलिस,वन,पंचायत,गैर सरकारी संगठन, रेल, लोकनिर्माण, परिवहन विभाग के अधिकारियों को लेकर एक कमेटी बनाई। इस कमेटी द्वारा संवेदनशील इलाकों की जानकारी रेल, बिजली और वन विभाग को व्हाट्सएप के जरिए दी जाती है ताकि रेल से कटने और बिजली का करंट लगने से हाथियों की मौत न हो। साथ ही हाथियों के उपद्रव को कम करने के लिए जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों की मदद से हाथी उपद्रव रोकथाम के कदम उठाए हैं।
वर्ष 2018 में 3360 परिवारों की संपत्ति का नुकसान
असम विधानसभा के आज से शुरु हुए शीतकालीन सत्र में प्रतिपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने राज्य के वन मंत्री परिमल शुक्ल वैद्य से 2016 से अब तक राज्य में जंगली हाथियों के हमले की कितनी घटनाएं हुई हैं और कितने लोग मारे गए हैं। इस बारे में पूछा। वन मंत्री वैद्य ने लिखित जवाब दिया कि वर्ष 2016 में 263, 2017 में 398, 2018 में 293 और 2019 में 215 जंगली हाथियों के हमले की घटनाएं घटित हुई। इनमें क्रमश: 91, 83, 98 और 87 लोग मारे गए। इन हमलों में वर्ष 2016 में 2720 परिवारों की संपत्ति को नुकसान हुआ तो वर्ष 2017 में 3360 परिवारों की संपत्ति का नुकसान हुआ।
ड्रोन से किया जा रहा निरीक्षण
वन मंत्री के मुताबिक वन विभाग ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहयोग से संवेदनशील इलाकों में गांव रक्षा वाहिनी के लोगों को हाथी-मनुष्य के टकराव के रोकने का प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा प्रत्येक जिले में एंटी डिप्रेडेशन स्कवॉड का गठन किया गया है। कुछ इलाकों में सौर ऊर्जा की कंटीली बाड़ लगाई गई है। ड्रोन का इस्तेमाल कर हाथियों की गतिविधियों का निरीक्षण किया जाता है। हाथी कोरिडोर के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने नौ कोरिडोरों की शिनाख्त की है।