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मां से जुदा हुआ उसका शिशु, कहीं बाढ़ की चपेट में आकर नहीं चल बसी हो

locationगुवाहाटीPublished: Aug 03, 2020 08:00:40 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

(Assam News) यह एक मां और बेटे (Story of mother&child ) की दास्तां हैं। भयानक जंगल और बाढ़ के बीच दोनों एक-दूसरे की (Mother&child searching each other ) तलाश कर रहे हैं। भटकता हुआ बेटा तो सही हाथों में पहुंच गया पर मां के बारे में यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वह अब इस (May be mother is no more ) दुनिया में है भी या नहीं।

मां से जुदा हुआ उसका शिशु, कहीं बाढ़ की चपेट में आकर नहीं चल बसी हो

मां से जुदा हुआ उसका शिशु, कहीं बाढ़ की चपेट में आकर नहीं चल बसी हो

गुवाहाटी(असम): (Assam News) यह एक मां और बेटे (Story of mother&child ) की दास्तां हैं। भयानक जंगल और बाढ़ के बीच दोनों एक-दूसरे की (Mother&child searching each other ) तलाश कर रहे हैं। भटकता हुआ बेटा तो सही हाथों में पहुंच गया पर मां के बारे में यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वह अब इस (May be mother is no more ) दुनिया में है भी या नहीं। हो सकता है कि बाढ़ की विभीषिका ने अन्य की तरह उसे भी लील लिया हो। यदि वह जीवित है तो दलदल भरे जंगल में अपने शिशु की तलाश में भटक रही होगी। मां-बेटे के इस दर्द को महसूस किया जंगल के रखवालों ने।

4 दिन के शिशु गैंडे को बचाया
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के वनकर्मियों ने जंगल में अपनी मां से अलग हुए महज ४ दिन के एक गैंडे के बच्चे को बचाया है। यहां आई भीषण बाढ़ से शायद बच्चा अपनी मां से अलग हो गया। पार्क के वनकर्मियों को गैंडे का यह बच्चा अपनी मां को गुहार लगाता हुआ मिला। इस शिशु गैंडे को सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ रिहैबिलिटेशन एंड कंजर्वेशन सेंटर में लाया गया है। जहां वनकर्मी इसकी देखभाल करने में जुटे हुए हैं। इसकी सुरक्षा और दूध का इंतजाम भी किया जा रहा है।

गैंडा शिशु को संभालना चुनौती
हालांकि इतने छोटू शिशु को बगैर मां के संभालना सेंटर के कर्मचारियों के सामने चुनौती से कम नहीं है। पार्क के कर्मचारी इसकी मादा गैंडा को भी ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। जंगल में गश्त में मौजूद सभी कर्मचारियों को इस बारे में सूचित किया गया है। अकेली मादा गैंडा की पहचान उसके हाव-भाव और आवाज के तरीके से की जा सकती है। हालांकि कर्मचारियों का मानना है कि इतने छोटे शिशु को मादा खुद से जुदा नहीं कर सकती। मादा गैंडा के बाढ़ में डूब कर मरने की संभावन से इंकार नहीं किया जा सकता।

बाढ़ लील गई 132 वन्यजीवों को
गौरतलब है कि असम में बाढ़ आम लोगों और वन्यजीवों के काल बनकर आई है। असम के काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व, बोकाहाट में बाढ़ में डूबने और अन्य कारणों से अब तक 132 जानवरों की मौत हो चुकी है। इसमें 14 गैंडे, 5 जंगली भैंस, 8 जंगली सूअर, 2 हिरण, 98 हॉग हिरण, 1 सांभर, 3 पोरपाइन और 1 अजगर शामिल हैं। असम में बाढ़ से 33 जिलों में से 23 जिलों में करीब 25 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं।

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