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नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ केंद्र की गठित उच्च स्तरीय समिति से अध्यक्ष समेत पांच लोग हुए अलग

locationगुवाहाटीPublished: Jan 12, 2019 07:28:20 pm

Submitted by:

Prateek

बेजबरुवा इस उच्च स्तरीय समिति के पांचवे सदस्य हैं जिन्होंने इसका हिस्सा बनने से इनकार किया है…

madan prakash file photo

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राजीव कुमार की रिपोर्ट…

(गुवाहाटी): पूर्व केंद्रीय पर्यटन सचिव मदन प्रसाद बेजबरुवा ने केंद्र द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति से इस्तीफा दे दिया है। असम समझौते की धारा छह के तहत असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान एवं विरासत के संरक्षण एवं बढा़वा देने के लिए संवैधानिक, विधायी एवं प्रशासनिक संरक्षण मुहैया कराने का प्रावधान है। इसी पर सुझाव देने के लिए केंद्र ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। बेजबरुवा इस उच्च स्तरीय समिति के पांचवे सदस्य हैं जिन्होंने इसका हिस्सा बनने से इनकार किया है।

 

इस उद्येश्य से हुआ समिति का गठन

इस समिति का गठन इस बात का मूल्यांकन करने के साथ-साथ कि राज्य के स्थानीय निकायों और विधानसभा में असम के लोगों के लिए कितनी सीटें आरक्षित रखी जाएं, के लिए गठित किया गया है। बेजबरुवा ने करा कि मैंने गृह मंत्रालय को बता दिया कि मेरे लिए ऐसे में समिति में बने रहना ठीक नहीं होगा जब नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है।


इन्होंने छोड़ी समिति

नागरिक समाज के सदस्यों के बिना एक समिति का अध्यक्ष बने रहने के कोई मायने नहीं है। गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति को पहले से ही छोड़ चुके लोगों में असम साहित्य सभा के दो अध्यक्ष डा.नगेन सैकिया और रंगबंग तेरांग, शिक्षाविद् मुकुंद राजवंशी और असम समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला राज्य का सबसे बड़ा छात्र संगठन अखिल असम छात्र संघ(आसू) शामिल है।

 

सदस्यों ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध जताने के लिए समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया जिसके बारे में उनका कहना है कि यह असमिया संस्कृति एवं पहचान के लिए एक खतरा है। इस समिति में कुल नौ सदस्य रखे गए थे। आसू ने अवैध प्रवासियों की पहचान करके उन्हें वापस भेजने के लिए छह वर्ष तक आंदोलन किया था। आसू ने तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के साथ 15 अगस्त, 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यह आंदोलन वापस ले लिया था। गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) को लिखे एक पत्र में समिति के सदस्य डा.नगेन सैकिया ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 देश की धर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ है और यदि इसे लागू किया गया तो असम अपनी भाषाई एवं सांस्कृतिक अस्मिता खो देगा।


आसू के बिना निर्णय पर नहीं पहुंच सकती समिति

उन्होंने कहा कि समिति का गठन असम के लोगों को तुष्ट करने के लिए किया गया है। मैं सरकार के इस रुख का विरोध करता हूं। साहित्य अकादमी से सम्मानित सैकिया ने कहा कि आसू पहले ही घोषणा कर चुका है कि वह समिति का हिस्सा नहीं होगा और उसके बिना समिति उन निर्णयों पर नहीं पहुंच सकती जिसके लिए उसका गठन किया गया है।


अंतरआत्मा हिस्सा बनने से रोक रही— तेरांग

पद्मश्री से सम्मानित रंगबंग तेरांग ने भी समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया और कहा कि आसू को शामिल किए बगैर असम समझौते’पर चर्चा करने का कोई तुक नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी अंतरात्मा मुझे इस समिति का हिस्सा बनने से रोकती है। इसके अलावा मैं कैंसर से ग्रस्त हूं और समिति की बैठकों में नियमित रूप से शिरकत करने में सक्षम नहीं रहूंगा।


राजधानी दिल्ली में इलाज करा रहे राजवंशी ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार नागरिकता विधेयक पर आगे बढ़ रही है दूसरी तरफ केंद्र सरकार समिति बना रही है। यह असम समझौते के साथ मजाक है। इससे पहले आसू ने समिति में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा था कि भाजपानीत सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले इसका गठन असम में वोट हासिल करने के लिए किया गया है।

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