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असम:भाजपा ने विदेश से आए अल्पसंख्यकों को शरणार्थी का दर्जा देने का राग फिर अलापा

locationगुवाहाटीPublished: Sep 10, 2018 08:05:54 pm

Submitted by:

Prateek

एनआरसी में गोरखा,बांग्लाभाषी व हिंदीभाषी के नाम न आने पर हाजेला को निशाना बनाया…

(पत्रिका ब्यूरो,गुवाहाटी): राष्ट्रीय नागरिक पंजी(एनआरसी) के अद्यतन को लेकर सत्तारुढ़ प्रदेश भाजपा ने खुलकर आपत्ति जताई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत दास ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एनआरसी के अंतिम प्रारुप में काफी भारतीय लोगों के नाम छूट गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हाजेला ने एनआरसी में नाम दाखिल कराने के लिए पहले के पंद्रह में से पांच कागजातों को हटाने का हलफनामा दिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जनता को अंधेरे में रखकर हाजेला ने शपथनामा दिया है। इससे लोगों के मन में शंकाएं बढ़ गई है। दास ने कहा कि हाजेला को यह अधिकार किसने दे दिया। किसके साथ वार्ता कर हाजेला ने यह कदम उठाया। इस कार्य को करने के लिए अनेक हजार कर्मचारी लगे थे। कई करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसके बाद इस तरह किया जाना बड़ा अन्याय है। पार्टी में इस बात को लेकर चर्चा की गई है। भाजपा हाजेला के शपथनामे का विरोध करेगी। उन्होंने भारतीय लोगों को शंकित न होने का अनुरोध किया।

 

 

दास ने आगे कहा कि विदेशी लोगों को केरल, मुंबई और दिल्ली में रोजगार मिल गया है। इस विषय को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है। विदेश से आए अल्पसंख्यकों को शरणार्थियों का दर्जा पार्टी देने की पक्षधर है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को शरणार्थी का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव लिया गया है।

 

 

प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि भारतीयों के नाम एनआरसी में शामिल हों और विदेशियों के नाम इसमें न आए,इसके लिए भाजपा प्रयास करेगी। एनआरसी के अंतिम प्रारुप में भाजपा के अनेक नेता व कर्मियों के नाम नहीं आए हैं। दास ने कहा कि हम आशावादी थे कि एनआरसी के अंतिम प्रारुप में गोरखा, भारतीय बांग्लाभाषी और हिंदीभाषियों के नाम नहीं छूटेंगे। लेकिन एनआरसी के अंतिम प्रारुप के विश्लेषण के बाद हमारी आशा निराशा में बदल गई। लाखों गोरखा, बांग्लाभाषी और हिंदीभाषी के नाम शामिल नहीं हुए।

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