बैठक में निर्णय लिया गया कि असम की चौदह सीटों में से अगप को तीन सीटें दी जाएगी। साथ ही जून में राज्य से खाली होने वाली राज्यसभा को दो सीटों में से एक दी जाएगी। यह भी तय हुआ कि मिजोरम के राज्यपाल के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री व अगप नेता प्रफुल्ल कुमार महंत को नियुक्त किया जाएगा। महंत गठबंधन के विरोधी हैं। वे राज्यपाल का पद स्वीकारते हैं या नहीं यह आगे पता चलेगा।
राम माधव ने अगप के अध्यक्ष अतुल बोरा,कार्यकारी अध्यक्ष केशव महंत और वरिष्ठ नेता फणिभूषण चौधरी से अनुरोध किया है कि वे फिर से राज्य मंत्रिमंडल की जिम्मेवारी संभाल ले।मालूम हो कि अगप के तीन मंत्रियों ने विवादित विधेयक के खिलाफ इस्तीफा दिया था। पर मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने इनका इस्तीफा राज्यपाल को न भेजकर अपने पास रख लिया था।इसलिए इन्हें वापस शपथ लेने की जरुरत नहीं है। दोनों पार्टियों के फिर से गठबंधन होने पर दोनों पार्टियों के तृणमूल कर्मी नाराज हैं। भाजपा के स्थानीय नेता पंचायत चुनाव में मिली सफलता के बाद अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रहे थे। पर राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं ने अगप के साथ गठबंधन का फैसला किया।
सहयोगी दलों को इन सीटों की पेशकश
अगप को कलियाबर,बरपेटा और धुबड़ी सीट दी जाएगी। वहीं गठबंधन की एक अन्य सहयोगी बोड़ो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) को पहले की तरह ही कोकराझाड़ सीट दी गई है। इस पर बीपीएफ ने राज्य सरकार मंत्री प्रमिला रानी ब्रह्म को टिकट दिया है। भाजपा की कोशिश है कि अगप और बीपीएफ साथ रहेंगे तो हिंदू वोट का विभाजन नहीं होगा। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।