CAB: असम में प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) ( Citizenship (Amendment) Bill- CAB) को लेकर विरोध और तेज हो गया है। लोकसभा में सोमवार को विधेयक को पेश किया जाएगा (The bill will be introduced in the Lok Sabha on Monday)। विधेयक के खिलाफ जनगोष्ठियों संगठनों ने सोमवार को असम बंद का आह्वान किया (Assam called for shutdown) है।
असम में कैब को लेकर भड़का आंदोलन
आज लोकसभा में पेश होगा विधेयक असम 9 को तो पूर्वोत्तर 10 को रहेगा बंदराजीव कुमार गुवाहाटी असम में प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को लेकर विरोध और तेज हो गया है। लोकसभा में सोमवार को विधेयक को पेश किया जाएगा। उधर असम में बंद का सिलसिला शुरू हो गया है। विधेयक के खिलाफ जनगोष्ठियों संगठनों ने सोमवार को असम बंद का आह्वान किया है। वही,ं नार्थ ईस्ट स्टूडेंटस आर्गेनाइजेशन (नेसो) ने 10 दिसंबर को पूर्वोत्तर बंद का आह्वान किया है। 10 दिसंबर के बंद से नगालैंड को अलग रखा गया है क्योंकि वहां हार्नबिल फेस्टिवल चल रहा है। भाजपा-अगप के सांसदों-मंत्रियों-विधायकों के पुतले फूंकने के अलावा उनके घरों के बाहर पोस्टर चिपकाए गए हैं। कभी कैब का विरोध करने वाले असम गण परिषद (अगप) सांसद वीरेंद्र प्रसाद वैश्य के पोस्टर चिपकाए गए है कि वे लापता हैं। किसी को खबर होने पर संपर्क करने को कहा गया है। वहीं असम गण परिषद (अगप) नेता तथा राज्य के खाद्य व आपूर्ति विभाग के मंत्री फणिभूषण चौधरी को विरोध के डर से पार्टी की एक सभा छोड़कर भागना पड़ा। पहले असम गण परिषद (अगप) कैब का विरोधी था और अब वह पक्षधर बन गया है। कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई ने कहा कि जिस दिन संसद में विधेयक पारित हो जाएगा उस दिन हम कानून का उल्लंघन शुरू करेंगे। राज्य में कैब के विरोध में हर रोज मशाल जुलूस निकाले जा रहे हैं।
कांग्रेस करेगी विरोध लोकसभा में केन्द्र सरकार की ओर से लाए जा रहा नागरिकता संशोधन विधेयक का कांग्रेस पुरजोर तरीके से विरोध करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में दस जनपथ पर रविवार को हुई बैठक में यह निर्णय किया गया। बैठक के बाद कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। धर्मनिरेपक्षता को नुकसान पहुंचाने के लिए यह विधेयक लाया जा रहा है। संसद में कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करेगी।
क्या कहते है राज्य के जिम्मेदार? राज्य के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा है कि आंदोलन से समस्या का समाधान नहीं होता बल्कि विकास बाधित होता है। राज्य के वित्त मंत्री डा. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि मशाल जुलूस निकालने से राज्य में निवेश नहीं आएगा। राज्य में पांच लाख हिंदू बांग्लादेशी हैं। उन्होंने राज्य में दूसरे लोगों की तरह कोई समस्या पैदा नहीं की है इसलिए उनका विरोध क्यों किया जा रहा है। कुछ अराजक लोग है जिनका विरोध होना चाहिए। उनका इशारा संदिग्ध मुस्लिम बांग्लादेशियों की ओर था। मजे की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे 15 दिसंबर को गुवाहाटी आएंगे। इसके लिए गुवाहाटी को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। पर ऐसी आशंका है कि कैब के संसद में पारित होने के बाद असम में स्थिति भयावह होगी। इसलिए इस यात्रा पर संशय के बादल भी मंडरा रहे हैं।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक? जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद अब मोदी सरकार अपना दूसरा सबसे बड़ा कदम उठाने जा रही है। केंद्र सरकार आज सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करेगी। नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था जिसके बाद 2 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया था। समिति ने इस साल जनवरी में इस पर अपनी रिपोर्ट दी है। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है। नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिन्दुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। उचित दस्तावेज़ नहीं होने पर भी अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी।
क्यों हो रहा है विरोध? बिल लाने पर कांग्रेस और टीएमसी आगबबूला हो रहे हैं। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद असम में विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे। असम में भाजपा के साथ सरकार चला रहा असम गण परिषद (अगप) भी नागरिकता संशोधन बिल को स्थानीय लोगों की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध कर रहा है। असम में एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया भी जारी है। ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल लागू होने की स्थिति में एनआरसी के प्रभावहीन हो जाने का हवाला देते हुए लोग विरोध कर रहे हैं।
इसलिए हो रहा है विरोध इसे सरकार की ओर से अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। गैर मुस्लिम 6 धर्म के लोगों को नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान को आधार बना कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट धार्मिक आधार पर नागरिकता प्रदान किए जाने का विरोध कर रहे हैं। नागरिकता अधिनियम में इस संशोधन को 1985 के असम करार का उल्लंघन भी बताया जा रहा है, जिसमें वर्ष 1971 के बाद बांग्लादेश से आए सभी धर्मों के नागरिकों को निर्वासित करने की बात थी।