लतशील पुलिस थाने के प्रभारी और इस मामले के शिकायतकर्ता उपेन्द्र कलिता ने कहा कि पुलिस ने जनसभा का वीडियो फूटेज है और साक्ष्य के आधार पर मामला दर्ज किया है। अन्य लोग जो इस बैठक में मौजूद थे वे सभी जांच के दायरे में हैं। सबसे खास बात ये है कि इस बैठक में असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक हरेकृष्ण डेका भी मौजूद थे। बुद्धिजीवी और किसान नेता के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किए जाने के खिलाफ राज्य में विरोध के स्वर उठने लगे हैं।गोहाईं के खिलाफ मामला दर्ज करने पर साहित्यकार डा.नगेन सैकिया ने कहा कि सरकार ने एक और आंदोलन का रास्ता खोल दिया है। सरकार की गलतियों के चलते ही काफी युवक उल्फा में जा रहे हैं।
सामने आई कई प्रतिक्रियाएं
साहित्यकार इमरान शाह ने कहा कि यह दुखद है। यह आजादी का हनन है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत ने कहा कि यह शर्मसार करने वाला है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा असम के स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के लिए सुझाव देने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति में शामिल न होने का फैसला राज्य के तीन विशिष्ट लोगों ने किया है। ये हैं-पूर्व संपादक धीरेंद्र नाथ बेजबरुवा,साहित्यकार नगेन सैकिया और रंग बंग तेरांग। वहीं भाजपा में विधेयक के खिलाफ भी आवाज उठने लगी है।विधानसभा के अध्यक्ष हितेंद्र नाथ गोस्वामी ने विधेयक पर खुलकर असंतुष्टि जताई तो प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मेहदी आलम बोरा ने भाजपा छोड़ी। गुरूवार को पूर्व मुख्य सचिव सी के दास ने भी भाजपा को अलविदा कह दिया।