प्रथम समझौते में नागा विद्रोही (सुधारवादी) गुट ने केंद्र के साथ अपने संघर्ष-विराम को एक साल के लिए और बढ़ा दिया। वहीं केंद्र सरकार ने दूसरे नागा विद्रोही खांगो कोन्याक गुट की हिंसक गतिविधियों के संचालन को स्थगित करने के लिए दूसरा समझौता किया। ये दोनों समझौते गृहमंत्रालय में संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग के नेतृत्व में हुए हैं। एनएससीएन/जीपीआरएन खांगो कोन्याक की और से जैक जीमोमी ने निरीक्षक के तौर पर और एनएससीएन-सुधारवादी गुट की और से डॉ. आमेंटों और इसके सचिव तोषी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
जीपीआरएन/एनएससीएन की ओर से मीडिया को जारी की सूचना में कहा गया कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद दोनों पक्ष संघर्ष-विराम पर सहमत हुए और इसे जमीन पर सही अर्थ और भाव से लागू करने पर ज़ोर दिया।
बता दें कि 2018 में एनएससीएन- खपलंग गुट में बिखराव होने के बाद खांगों कोन्याक ने जीपीआरएन-एनएससीएन के नाम से नया गुट बनाया था और साथ में खांगो का नया गुट ने संघर्ष-विराम करने की इच्छा व्यक्त की थी। पिछले साल दिसम्बर 17 को खांगो गुट ने केंद्र सरकार के साथ नई दिल्ली में एक अनौपचारिक बैठक की थी जिसमें केंद्र सरकार के साथ मतभेदों को दूर कर, संघर्ष-विराम लागू करने की सहमति बनी थी लेकिन संघर्ष-विराम कब से लागू होगा, इस पर सहमति नहीं बन पाई थी। 2015 में एनएससीएन-खपलंग गुट ने केंद्र सरकार के साथ संघर्ष-विराम के समझौता से अपने को अलग कर लिया था और अपना संघर्ष जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई थी। एनएससीएन-आईएम (इजाक-मुईवा) गुट केंद्र के साथ हुए 2015 के नागा समझौता में शामिल हैं। लेकिन एनएससीएन- खपलंग गुट इस समझौता में शामिल नही हैं। शुरू से ही खांगो कोन्याक भी एनएससीएन-खपलंग गुट में ही थे लेकिन 2018 में खपलंग गुट से अलग हो गए और संघर्ष-विराम और 2015 के केंद्र के साथ हुए नागा समझौते में शामिल होना चाहता थे। पिछले साल 6 दिसम्बर को खांगो कोन्याक के नेतृत्व में जीपीआरएन गुट की एक बैठक में अपने पूर्ववर्ती निर्णय को बदलने और केंद्र के साथ समझौता करने की एकतरफा घोषणा की थी।
लोकसभा चुनावों के दौरान नागा विद्रोही गुटों ने अपनी गतिविधियों को अंजाम देना जारी रखा हैं। इस बार अरुणाचल में नागा विद्रोही गुट के द्वारा दो युवाओं की ह्त्या करने की खबरे आई हैं। कुछ नागा विद्रोही गुट जो केंद्र के साथ नागा शांति समझौता में शामिल हैं ने अप्रत्यक्ष तौर पर लोकसभा चुनाव में ही भाग लिया हैं। मणिपुर में नागा विद्रोही गुट ने तो बाकायदा मणिपुर-बाहरी लोकसभा सीट पर मतदान से कुछ दिन पहले ही नागा समुदाय से बीजेपी के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी। राज्य में राजनीतिक दलों ने इस पर आपत्ति दर्ज की थी और बीजेपी के साथ नागा विद्रोही गुट राजनीतिक साठगांठ होने के आरोप भी लगाए हैंं बीजेपी ने मणिपुर-बाहरी लोकसभा सीट पर नागा समुदाय से प्रत्याशी बनाया हैं। हालांकि इस सीट पर मतदान 11 अप्रैल को ही संपन्न हो गए।
एनएससीएन-खपलंग गुट ने म्यांमार सरकार से अपने नेताओं को मुक्त करने का आग्रह किया है ताकि म्यांमार सरकार के साथ शांति-समझौता करने में आसानी हो सके हैं। म्यांमार सेना ने खपलंग गुट के 10 नेताओं को फ़रवरी 2019 में एक संघर्ष अभियान के तहत पकड़ लिया था। नागालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट पर 11 अप्रैल को लगभग 80 फीसदी मतदान हुआ हैं। इस सीट पर सत्तारूढ़ एनडीपीपी+बीजेपी और विपक्ष कॉंग्रेस+एनपीएफ़ के बीच सीधा मुक़ाबला रहा हैं।