पत्र में लिखा है कि यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ने की वजह से, मेरे पुत्र ने मिजोरम में आने का फैसला ले लिया था। इसीलिए उसने अपने निर्धारित तिथि से पहले नीदरलैंड छोड़कर मिजोरम आ गया था। यात्रा के दौरान कई जगहों पर उसकी जाँच और स्क्रीनिंग होने के बाद वह 16 मार्च को लेंगपुई हवाईअड्डे पर पहुंचा। इस समय तक उसमे कोरोना वायरस का कोई भी लक्षण नहीं होने के बावजूद, सावधानी अपनाते हुए लेंगपुई से घर तक टैक्सी से अकेला आया था। शरीर में कोई दिक्कत नहीं होने के कारण और मेडिकल टीम के सलाह के अनुसार, उसने अपने आपको होम क्वारेंटाइन कर लिया था। इस दौरान जितना संभव हो सावधानी बरती। 19 मार्च को उसे बुखार आने के बाद मिजोरम मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में ले जाया गया। वहां पर पता चला कि उसमे कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है।
महिला ने आगे लिखा कि ”मैं बहुत शर्मिंदा हूं कि इस वायरस को मिजोरम तक पहुंचाने में जिम्मेदार हूं और सब लोगों को डराया। आंसू बहाते हुए हम सबसे माफी मांग रहे हैं। हमें पता है कि चर्च के सदस्यों और बहुत सारे लोग हमारे परिवार के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और हमारे परिवार के लोगों पर दया करते हैं। सरकारी अधिकारी हमको सांत्वना देते हैं। हमारे लिए डॉक्टर और नर्स अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। सभी लोग हर तरीके से हमारे साथ हैं। हम ऐसा देखकर बहुत खुश हैं और हम सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद देते है। हमारे लिए आपकी प्रार्थना के कारण, हम आज हॉस्पिटल में है। इसके लिए भगवान की प्रशंसा करते है। मैं विमान के सभी यात्रियों और टैक्सी ड्राइवर से हमें माफ करने की अपील करता हूं। यदि संभव हो तो हम आपकी सभी परेशानियों को अपने कंधो पर लेने को तैयार है। मैं मिजोरम के लोगों से हमें क्षमा करने और हमारे परिवार के लिए प्रार्थना करने की अपील करती हूं।”