जॉयकुमार वित्त और बिस्वजीत कार्य एवं ऊर्जा विभाग देख रहे थे। इन विभागों पर जरूरत से ज्यादा फंड के इस्तेमाल का आरोप था। अब मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह खुद इन विभागों का कामकाज देख रहे हैं। सीएम ऑफिस की ओर से बताया गया है कि यह कैबिनेट का फैसला है। हालांकि, कैबिनेट मीटिंग में शामिल हुए उप मुख्यमंत्री ने दावा किया कि बैठक में सिर्फ ओवरड्राफ्ट के मुद्दे पर चर्चा हुई।
जॉयकुमार ने आरोप लगाया कि ओवरड्राफ्ट के लिए सीएम जिम्मेदार हैं। उन्होंने मांग की कि अगर कोई ऐक्शन लिया जाना चाहिए तो वह मुख्यमंत्री के खिलाफ लिया जाना चाहिए था। वहीं, बिस्वजीत ने उन आरोपों को खारिज किया कि फंड्स के ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से उन्हें अपने विभाग गंवाने पड़े। उन्होंने कहा, पूर्व में भी सरकारों को ओवरड्राफ्ट के ऐसे हालात का सामना करना पड़ा, लेकिन इस बार इसे बढ़ाचढ़ाकर पेश किया जा रहा है। इसकी वजह क्या है, वे ही बेहतर बता सकते हैं।
बता दें कि यह टकराव बीजेपी की अगुआई वाली मणिपुर सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है। सीएम की कार्रवाई के बाद दोनों मंत्री केंद्रीय आलाकमान को हालात की जानकारी देने के लिए दिल्ली पहुंच गए। इसके अलावा, सत्ताधारी पार्टी के 10 विधायक, तीन मंत्री और दो सांसद भी शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे। हालांकि, इनके जाने के मकसद के बारे में स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। बीजेपी के मंत्री नेमचा किपगेन, एनसीपी के मंत्री एल जयंतकुमार और एनपीएफ के मंत्री एल दिखो दिल्ली में पहुंचे नेताओं में प्रमुख हैं। दिल्ली पहुंचे किसी भी विधायक या मंत्री से उनकी टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं किया जा सका।