14 जून को इस योजना का नलबाड़ी स्थित शहीद मुकुंद काकती सिविल अस्पताल में उद्घाटन किया जाएगा। इसके साथ ही 20 जून तक राज्य के दरंग, शोणितपुर, तिनसुकिया, मोरिगांव, बरपेटा, बंगाईगांव स्थित सिविल अस्पतालों में निःशुल्क डायलिसिस योजना शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत क्रियान्वयन की जा रही है। राज्य सरकार अस्पतालों में डायलिसिस की मशीनें उपलब्ध कराएगी। वहीं अपोलो अस्पताल के अनुभवी चिकित्सक, टैक्निशियन की टीम मरीजों का डायलिसिस करेगी। उन्होंने कहा कि इस योजना से हजारों किडनी संबंधी मरीजों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस करने के लिए 2 से 3 हजार रुपये खर्च हुआ करते थे। निजी अस्पतालों में इससे अधिक हुआ करते हैं। लेकिन अब से सभी वर्गों के लोग राज्य के निदृष्ट अस्पतालों में निःशुल्क डायलिसिस करवा सकेंगे।
हिमंत ने कहा कि इस योजना में केंद्र और राज्य सरकार की 90-10 के तहत भागीदारी होगी। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि डायलिसिस करने में अपोलो अस्पताल को 1296 रुपये खर्च होंगे, जिसे सरकार देगी। वहीं उन्होंने कहा कि किडनी संबंधी बीमारियां निचले और मध्य असम में अधिक देखी जा रही है। जिसका कारण मध्य और निचले असम में रसायन युक्त सब्जियों की खेती हो सकती है। इस संदर्भ में राज्य सरकार जल्द ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर ) को अध्ययन के लिए पत्र देगी।
हिंमत ने कहा कि अगले छह महीने के भीतर शिवसागर, उत्तर लखीमपुर, धेमाजी, डिफू, धुबड़ी, ग्वालपाड़ा सहित 10 जिला व सदर अस्पतालों में निःशुल्क डायलिसिस का इंतजाम होगा। 105 डायलिसिस मशीनें फेयर फैक्स इंडिया चेरिटेबल ट्रस्ट नामक संगठन ने राज्य सरकार को निःशुल्क दी है। प्रत्येक केंद्रों में कुल छह डायलिसिस मशीन स्थापित की जाएगी जिसमें में एक मशीन एचआईवी से ग्रस्त मरीजों के लिए आरक्षित रहेगी। वहीं पांच मशीनों से प्रतिदिन 15 किडनी संबंधी मरीजों की डायलिसिस की जा सकेगी। इस योजना का संचालन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत होगा।