सोहरा मेघालय के पर्यटन का एक अमूल्य रत्न है। पर्यटन सीजन में यहां हर रोज हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। जहां इनसे प्राकृतिक परिवेश को नुकसान पहुंचता है, पर फलफूल रहे पर्यटन से इलाके के लोगों की जीविका चलती है। इससे राज्य सरकार को भी भारी मात्रा में राजस्व मिलता है। कोरोना महामारी के फैलने के पहले से ही राज्य का पर्यटन उद्योग दिक्कतों में घिर गया था। कोरोना ने समस्या बढ़ा दी। पिछले नवंबर से नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के खिलाफ विरोध चल रहा था। सोहरा के इच्छामाटी में संघर्ष हुआ और पर्यटन उद्योग को झटका लगा। कानून-व्यवस्था बिगडऩे से पर्यटकों की बुकिंग रद्द की गई।
इसके बाद कोरोना महामारी फैली और देशभर में लॉकडाउन हो गया। कैफे चेरापूंजी के मालिक एलम वेस्ट ने कहा कि इच्छामाटी संघर्ष के बाद व्यापार पूरी तरह ठप है। सरकार की लॉकडाउन की घोषणा के पहले ही पर्यटन से जुड़े सभी व्यापार बंद करने का निर्णय लिया गया। एहतियाती उपाय किए गए और मुख्यमंत्री कोनराड संग्मा से प्रवेश मार्गों को बंद करने को कहा गया। सोहरा के सभी को इस निर्णय में साथ लिया गया। सोहरा के अनेक होम स्टे और गेस्ट हाउस के मालिकों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अनिश्चितता उन्हें खाए जा रही है।
इच्छामाटी की घटना से हम बुरी तरह प्रभावित हुए। हमारा तब 20-30 प्रतिशत व्यापार प्रभावित हुआ। लबान होटल के मालिक ने कहा कि मेरे 14 कर्मचारी हैं। पिछले महीने तो मैंने उन्हें पूरा वेतन दे दिया था। लेकिन इस महीने सोचना पड़ेगा क्योंकि कोई आमदनी नहीं है। लतारा गेस्ट हाउस के मालिक का कहना था कि कोरोना के चलते हमारी सभी बुकिंगें रद्द हो गई। लेकिन इसके पहले धंधा ठीक ही था। सोहरा में होम स्टे कुकरमुत्ते की तरह उग आए थे। लेकिन अब इन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। इनका कहना है कि लॉकडाउन के पहले धंधा अच्छा चलना शुरु हुआ था। ग्रेस होम स्टे में दो कमरे हैं। यहां पिछले एक महीने से कोई नहीं है। कीनवेल गेस्ट हाउस के मालिक का कहना है कि इनके रखरखाव में हमें खर्चा करना पड़ रहा है। बिजली का बिल दो-तीन हजार आएगा। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है यह अगले साल तक यही हाल रहेगा। उसने बताया कि दो कर्मचारियों को अपनी जेब से भुगतान करना पड़ रहा है।