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गौहाटी विवि के हिंदी शोधार्थी अब हिंदी में भी दाखिल कर सकेंगे अपना शोध

locationगुवाहाटीPublished: Dec 29, 2018 07:07:56 pm

Submitted by:

Prateek

न्यायालय के निर्देश का स्वागत करते हुए एक शोधार्थी ने नाम नहीं लिखने के शर्त पर बताया कि हिंदी में लिखे शोधपत्र में सृजनात्मक मौलिकता व भाषा की मिठास एवं शब्दों की गहराई सिर्फ और सिर्फ हिंदी में ही अच्छी लगती है अंग्रेजी में वह सामने नहीं आ पाती है।

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राजीव कुमार की रिपोर्ट…


(गुवाहाटी): गौहाटी विश्वविद्यालय (जीयू) के हिंदी विभाग के शोधार्थियों के लिए अब अंग्रेजी में शोधपत्र सौंपने की अनिवार्यता खत्म हो गई है। गौहाटी उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हिंदी के शोधार्थियों के लिए अंग्रेजी में शोधपत्र दाखिल करने की अनिवर्यता को खत्म करते हुए हिंदी का विकल्प खोल दिया है। इसके साथ ही हिंदी के पीएचडी स्कॉलर अब से हिंदी में ही शोधपत्र दाखिल कर सकेंगे। न्यायालय के इस फैसले से हिंदी के शोधार्थियों की लंबे समय से चली आ रही एक समस्या का निदान हो गया है।


राज्यपाल ने भी दिया था इस मांग पर जोर

मालूम हो कि इससे पहले जुलाई में गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति तथा असम के राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी ने गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलपति को निर्देश दिया था कि हिंदी के पीएचडी स्कॉलरों के लिए हिंदी में ही शोधपत्र दाखिल करने की व्यवस्था होनी चाहिए। हिंदी के शोधार्थियों ने राज्यपाल के इस निर्देश का तब भी जोरदार स्वागत किया था।

 

 

खिले हिंदी शोधार्थियों के चेहरे

शुक्रवार को गौहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अंचित्य मल्ल बुजरबरुवा की अदालत ने विश्वविद्यालय के कुछ हिंदी शोधार्थी विद्यार्थियों की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि हिंदी में शोध करने वाले पीएचडी स्कॉलरों का शोधपत्र हिंदी में ही दाखिल किया जा सकेगा। इसके लिए पूर्व के नियमों के अनुसार अंग्रेजी में देने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। याचिकाकर्ता शोधार्थियों ने न्यायालय के इस फैसले को हिंदी की जीत करार दिया है। मालूम हो कि आए दिन जीयू के हिंदी के पीएचडी स्कॉलरों के लिए उनका शोधपत्र हिंदी के बजाए अंग्रेजी में सौंपे जाने की अनिवार्यता के कारण शोधार्थियों को शोधपत्र के अंग्रेजी अनुवाद के लिए किसी दूसरे पर भरोसा करना पड़ता था। इसके लिए उन्हें अंग्रेजी अनुवाद के नाम पर मोटी रकम चुकाने की मजबूरी के अलावा अन्य कई तकनीकी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था।

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