राज्यपाल ने भी दिया था इस मांग पर जोर
मालूम हो कि इससे पहले जुलाई में गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति तथा असम के राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी ने गौहाटी विश्वविद्यालय के कुलपति को निर्देश दिया था कि हिंदी के पीएचडी स्कॉलरों के लिए हिंदी में ही शोधपत्र दाखिल करने की व्यवस्था होनी चाहिए। हिंदी के शोधार्थियों ने राज्यपाल के इस निर्देश का तब भी जोरदार स्वागत किया था।
खिले हिंदी शोधार्थियों के चेहरे
शुक्रवार को गौहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अंचित्य मल्ल बुजरबरुवा की अदालत ने विश्वविद्यालय के कुछ हिंदी शोधार्थी विद्यार्थियों की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि हिंदी में शोध करने वाले पीएचडी स्कॉलरों का शोधपत्र हिंदी में ही दाखिल किया जा सकेगा। इसके लिए पूर्व के नियमों के अनुसार अंग्रेजी में देने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। याचिकाकर्ता शोधार्थियों ने न्यायालय के इस फैसले को हिंदी की जीत करार दिया है। मालूम हो कि आए दिन जीयू के हिंदी के पीएचडी स्कॉलरों के लिए उनका शोधपत्र हिंदी के बजाए अंग्रेजी में सौंपे जाने की अनिवार्यता के कारण शोधार्थियों को शोधपत्र के अंग्रेजी अनुवाद के लिए किसी दूसरे पर भरोसा करना पड़ता था। इसके लिए उन्हें अंग्रेजी अनुवाद के नाम पर मोटी रकम चुकाने की मजबूरी के अलावा अन्य कई तकनीकी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था।