scriptमिज़ोरम विधानसभा में पास किया गया मिज़ोरम गृहस्थी रखरखाव पंजीकरण विधेयक 2019, राज्य के चकमा और ब्रू समुदाय की चिंता बढ़ी | House Maintenance Registration Bill 2019 passed in Mizoram Assembly | Patrika News

मिज़ोरम विधानसभा में पास किया गया मिज़ोरम गृहस्थी रखरखाव पंजीकरण विधेयक 2019, राज्य के चकमा और ब्रू समुदाय की चिंता बढ़ी

locationगुवाहाटीPublished: Mar 22, 2019 09:39:40 pm

Submitted by:

Prateek

बिल से राज्य में अवैध विदेशियों की पहचान होगी
 

mizoram assembly

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(आइज़ोल,सुवालाल जांगु): मिज़ोरम विधानसभा में मिज़ोरम गृहस्थी रखरखाव पंजीकरण विधेयक 2019 पास कर दिया गया।। बिल के अंतर्गत राज्य में सभी घरों का पंजीकरण रिकॉर्ड बनाया जाएगा। विधेयक पास होने से राज्य का अल्पसंख्यक चकमा और ब्रू समुदाय चिंतित हैं। बिल के उद्येश्य व इसे पास करने के पीछे के कारणों के विषय में बताते हुए मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने कहा, “ राज्य की पोरस बार्डर से बड़ी संख्या में विदेशियों के अवैध आगमन को देखते हुए इस बिल को पास करना जरूरी हो गया था। कई मामलें सामने आए हैं जिनमें अवैध विदेशियों को कई जन-कल्याणकारी और विकास कार्यक्रमों का लाभ मिला हैं।” वहीं राज्य के सूचना और जनसम्पर्क मंत्री ललरुआतकिमा ने एक रिपोर्ट हवाला देते हुए कहा कि, “मिज़ोरम की 87 फीसदी ईसाई जनसंख्या को मुख्य खतरा विदेश से आने वाले बंगाली मुस्लिम और चकमा बुद्धों से हैं।” राज्य में नागरिकता पंजीकृत रजिस्टर असम के राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की तरह ही होगा हैं। इस बिल में रजिस्टर बनाने के लिए एक बाध्यकारी प्रावधान रखा गया हैं जिससे राज्य के प्रत्येक गृहस्वामी को सभी आवश्यक जानकारिया देनी होगी। गृहस्वामी के द्वारा दी गई जानकारियों को राज्य सरकार से अधिकृत स्थानीय सरकारी कार्यालय या गैर-सरकारी संगठन के प्रमुख से प्रमाणित और प्रति-हस्ताक्षर से किया जाएगा हैं।

 

बिल से राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय नाखुश

बिल ने राज्य के चकमा और ब्रू समुदायों को परेशानी में डाल दिया है। एक चकमा कार्यकर्ता ने अपना नाम न बताते हुए कहा, “इस बिल के उद्देश्य और कारणों के कथन में स्पष्ट कहा गया हैं कि इससे राज्य में विदेशियों की पहचान की जाएगी, और बहुसंख्यक मिज़ो की नजर में चकमा विदेशी हैं। हम लोगों को लक्षित किया जाएगा।” राज्य में बीजेपी के एकमात्र विधायक बीडी चकमा ने भी इस बात पर सहमति देते हुए कहा कि यह बिल राज्य के अल्पसंख्यकों विशेषकर चकमा और ब्रू के लिए बहुत ही खतरनाक हैं। चकमा विधायक को डर हैं कि राज्य सरकार मिज़ो दबाव समूहों की मदद से चकमाओं को पंजीकरण प्रक्रिया से बाहर करने की पूरी कौशिश करेगी। बीडी चकमा ने कहा कि “इससे पहले भी 1994 में हजारों चकमा मतदाताओं को मिज़ो छात्र संगठनों के दबाव के चलते राज्य की मतदाता सूची से बाहर कर दिया था। इस बिल में चकमाओं को प्रताड़ित करने के सिवाय और कुछ नहीं हैं।”

 

बिल से सत्तारूढ़ एमएनएफ़ को होगा लोकसभा चुनाव में फायदा

सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ़) ने नवम्बर 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा-पत्र में राज्य में पार्टी की सरकार बनने पर असम के एनआरसी की तर्ज पर बिल तैयार करने का वायदा किया था। राज्य में अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान करके उनको राज्य से बाहर निकालने की मांग राज्य में बहुसंख्यक मिज़ो समुदाय के जनसंगठन लंबे समय से करते आ रहे हैं। मिज़ो जनसंगठन कई बार अपने सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए राज्य में बढ़ी संख्या में अवैध विदेशी घुसपैठियों की समस्या को उठाते रहते हैं। बीती 18 मार्च को राज्य विधानसभा में एक सवाल के जवाब में राज्य के गृहमंत्री ने राज्य में विभिन्न जिलों में अवैध प्रवासियों के 25 गाँव मौजूद होने की बात मानी थी। माना जा रहा है कि राज्य में लोकसभा चुनाव में बहुसंख्यक मतदातों को अपने पक्ष में करने के मकसद से सत्तारूढ़ एमएनएफ़ ने इस बिल को पास किया हैं। राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए मतदान 11 अप्रैल को होगा। मुख्य चुनावी मुक़ाबला सत्तारूढ़ एमएनएफ़ के सी ललरोसांगाऔर विपक्ष के साझा उम्मीदवार तेतेय मार के बीच में माना जा रहा हैं। बीजेपी की बात करे तो राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए निरूपम चकमा को उम्मीदवार घोषित किया गया हैं। इसके अलावा स्थानीय दल प्रिज्म समर्थित टीबीसी लल्वेंग्छुआंगा भी चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य में लोकसभा चुनाव में राज्य में अवैध विदेशी घुसपैठ मुख्य चुनावी मुद्दा हैं।

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