scriptपूर्वोत्तर के राज्यों में बंद का व्यापक असर, अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू | Indefinitely starting economic blockade in north east | Patrika News

पूर्वोत्तर के राज्यों में बंद का व्यापक असर, अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू

locationगुवाहाटीPublished: Jan 08, 2019 07:21:12 pm

Submitted by:

Prateek

पढ़े पूरी ख़बर और जाने क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक और क्यों हो रहा है इसका विरोध…

protest

protest

राजीव कुमार की रिपोर्ट…

(गुवाहाटी): विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ अखिल असम छात्र संघ(आसू)और नार्थ ईस्ट स्टूडेंटस आर्गेनाइजेशन(नेसो) के 11 घंटे के बंद के दौरान असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में बंद का व्यापक प्रभाव रहा। असम में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को कई जगह पर बंद कर दिया और वाहनों में तोड़फोड़ की। डिब्रुगढ़ में मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के पैतृक स्थल पर उनके आवास के घेराव के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई।


भाजपा कार्यालय के बोर्ड को किया आग के हवाले

protest

डिब्रूगढ़ और गोलाघाट में भाजपा कार्यालय में तोड़फोड़ का प्रयास किया। डिब्रुगढ़ भाजपा जिला कार्यालय के बोर्ड को आग लगा दी गई। आसू के कार्यकर्ताओं और पुलिस में झड़प हो गई,सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। डिब्रुगढ़ में पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ ही रबर बुलेट भी दागे। पुलिस ने कहा कि घटना में कोई घायल नहीं हुआ। आसू के बंद का असम गण परिषद (अगप),कांग्रेस, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने समर्थन दिया है।

 

‘सीएम को पद पर रहने का हक नहीं’ गूंजे यह नारें

नेसो द्वारा आहूत ‘पूर्वोत्तर बंद’ से ब्रह्मपुत्र घाटी में जनजीवन प्रभावित हुआ और बराक घाटी में आंशिक असर देखने को मिला। नेसो क्षेत्र में छात्र संगठनों का प्रतिनिधि संगठन है। आसू भी इसका घटक है। इसी मुद्दे पर नेसो द्वारा आहूत बंद का असम तथा पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में 100 से ज्यादा संगठनों ने समर्थन किया। आसू ने नारे लगाए कि मुख्यमंत्री को पद पर रहने का कोई हक नहीं है क्योंकि वह राज्य के लोगों के हितों की रक्षा नहीं कर पाए।


टायर जलाकर बंद किया राष्ट्रीय राजमार्ग

protest

पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया और कई स्थानों पर ट्रक, कार अन्य वाहनों के शीशे तोड़ दिए। रेलवे के सूत्रों ने बताया कि गुवाहाटी एवं डिब्रूगढ़ जिले में पटरियों को भी कुछ देर के लिए जाम किया गया हालांकि जीआरपी के प्रदर्शनकारियों को पटरियों पर से हटाने के बाद दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनों की आवाजाही बहाल हो गई।


केंद्र सरकार पर लगे यह गंभीर आरोप

केएमएसएस द्वारा आर्थिक नाकेबंदी के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर माल वाहक ट्रकों की आवाजाही नहीं हो पाई। आसू और नेसो के मुख्य सलाहकार डा.समुज्जवल कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि अगर मेघालय और मिजोरम विधेयक का विरोध करते हुए कैबिनेट प्रस्ताव ला सकते हैं तो असम ऐसा क्यों नहीं कर सकता? आसू के अध्यक्ष दीपांक नाथ ने कहा कि व्यापक विरोध के बावजूद केंद्र में भाजपा सरकार ने हम पर अलोकतांत्रिक तरीके से विधेयक थोपा है, क्योंकि वे अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के वोट के सहारे लोकसभा चुनाव जीतना चाहते हैं।


यहां भी हुआ जनजीवन प्रभावित

राज्यों से मिली खबरों के मुताबिक, बंद से मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश और नगालैंड में आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेतृत्व में 70 संगठनों ने विधेयक के खिलाफ अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की शुरूआत की। संगठनों ने कहा है कि तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, कोयला, वन उत्पाद तथा अन्य सामानों को राज्य से बाहर नहीं ले जाने देंगे।


मंगलवार से आर्थिक नाकेबंदी की शुरूआत

केएमएसएस के सलाहकार अखिल गोगोई ने कहा कि विधेयक के खिलाफ मंगलवार से हमने अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू की है। हम राज्य से अपने संसाधनों को बाहर नहीं ले जाने देंगे। उन्होंने कहा कि 70 संगठनों के समर्थक राज्य भर में ऑयल इंडिया लिमिटेड और ओएनजीसी के कार्यालयों और केंद्रों के सामने प्रदर्शन करेंगे।

 

इस वजह से हो रहा विधेयक का विरोध

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 का मकसद नागरिकता विधेयक 1955 में संशोधन कर बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक अत्याचार की वजह से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिन्दू, सिख, बौद्ध जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को नागरिकता प्रदान करना है। लेकिन असम में इसका विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि इससे 15 अगस्त 1985 में हुए असम समझौते का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा। समझौते के अनुसार 24 मार्च 1971 के बाद आए सभी विदेशियों को जाना है। पर इस विधेयक से हिंदू व अन्य पांच समुदाय के लोगों को बांग्लादेश,पाकिस्तान व अफगानिस्तान से आकर नागरिकता मिल जाएगी। असम के संगठनों का कहना है इससे असम पर बोझ बढेगा और उनके सामने अस्तित्व का संकट पैदा होगा।

 

उग्रवादी संगठन का बढ़ता रुतबा

राज्य में विधेयक को लेकर हो रहे विरोध के बीच उग्रवादी संगठन यूनाईटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम(उल्फा) स्वाधीन में युवक-युवतियों के जाने का सिलसिला बढ़ गया है। पिछले कुछ दिनों से इस संगठन में काफी युवक-युवती जा रहे हैं। केंद्र के इस फैसले से राज्य में अलगाव की भावना फिर बढ़ती दिखाई पड़ रही है। बुद्धिजीवी डा.हिरेन गोहाईं और किसान नेता अखिल गोगोई ने तो कहा कि इस तरह केंद्र थोपता रहा तो स्वाधीन असम के बारे में सोचना पड़ेगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो